Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

मानगढ़ धाम में आजादी का अमृत महोत्सव के अन्तर्गत शहीदों को श्रद्धांजलि सभा।

दिनांक
01/11/2022
स्थान
मानगढ़ धाम


माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी, मध्यप्रदेश के राज्यपाल आदरणीय मंगूभाई पटेल, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह जी चौहान साहब, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल साहब, केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह जी कुलस्ते जी, राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल जी, सांसद कनकमल कटारा जी, जसवंत सिंह जी भामोर और महेश शर्मा जी, रामचंद्र जी महाराज साहब, संत अच्युतानंद जी महाराज साहब और यहां उपस्थि हमारे साथी मंत्रिमंडल के साथी महेंद्रजीत सिंह मालवीया जी, अर्जुन बामनिया जी, रामलाल जी जाट, भंवरसिंह जी भाटी और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया जी और तमाम उपस्थित बुजुर्गों, भाइयों और बहनों, नौजवान साथियों, मुझे बहुत प्रसन्नता है कि आज मानगढ़ धाम पर प्रधानमंत्री जी पधारे, मैं सबसे पहले अपनी ओर से, आप सबकी ओर से और राजस्थान प्रदेशवासियों की ओर से उनका हार्दिक स्वागत करता हूं, मुझे खुशी है कि आप जानते हैं कि मेवाड़ की धरती, वागड़ की धरती का अपना एक इतिहास रहा है और मानगढ़ धाम ने जो इतिहास रचा है वो देश के स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया है, उस जमाने में 1913 के अंदर गोविंद गुरु जी के सानिध्य में आदिवासियों ने जो संघर्ष किया, जिसकी गाथा मेरे पूर्व वक्ताओं ने बताई आपको, आप कल्पना कर सकते हैं कि किस प्रकार से यहां पर लोहा लिया गया अंग्रेजों से, 1 हजार 500 से अधिक लोग आदिवासी भाई-बहन शहीद हुए, तो आप सोच सकते हो कि आदिवासियों का जो इतिहास है वो महान इतिहास है और मैं समझता हूं कि जितनी खोज की जाए उतनी ही आपको नई-नई कहानियां मिलेंगी कि आदिवासियों ने जंग में गुलामी की जंजीरों से मुक्त होने के लिए क्या-क्या किया, पाल-दाधवाव जो गुजरात में है बनासकांठा में, वहां पर भी आदिवासियों का नरसंहार हुआ था, 100 साल पूरे हो गए उसको भी , 1922 में हुआ था, तो मेरे ख्याल से जहां-जहां आदिवासी रहते हैं चाहे बिरसा मुंडा की बात करें, हर जगह आदिवासियों का आजादी की जंग में बहुत बड़ा योगदान था और मुझे खुशी है कि आज वागड़ की धरती पर आए हैं, मेवाड़ की धरती महाराणा प्रताप का शौर्य-पराक्रम, देश और दुनिया में उसकी पहचान है, यहां फ्रीडम फाइटर्स भी बहुत हुए हैं, यहां के मुख्यमंत्री भी हुए हैं हरिदेव जोशी जी, भीखा भाई भील बहुत बड़े नेता हुए देश के, माणिक्यलाल वर्मा हुए, भोगीलाल पंड्या हुए, उपाध्याय जी हुए, कितने लोग हुए जिन्होंने उस वक्त में भाग लिया था और ये मानगढ़ धाम जो इतिहास रच गया है, मैं समझता हूं कि ये हम लोगों के लिए गौरव की बात है, हमने प्रधानमंत्री महोदय को रिक्वेस्ट भी की है कि समय आ गया है कि हम लोग क्यों नहीं इसको एक राष्ट्रीय स्मारक के रूप में इसकी स्थापना करें, जिससे कि पूरा देश जैसे जलियांवाला बाग की कहानी जानता है, इतिहास जानता है, त्याग और बलिदान किस प्रकार हुए वहां, उसकी पहचान पूरे मुल्क के अंदर है, उसी प्रकार से मानगढ़ धाम की पहचान भी बने देश के अंदर कि आदिवासी समाज भी उस जमाने में पीछे नहीं था किसी से भी जंग लड़ने के अंदर और जिस प्रकार महात्मा गांधी के सानिध्य में जंग लड़ी गई, आज भी इतिहास गवाह है कि किस प्रकार से त्याग, बलिदान, कुर्बानियां हुई थीं, लोग जेलों में बंद रहे थे, पंडित जवाहर लाल नेहरू 10 साल तक जेलों में बंद रहे थे, सरदार पटेल जेलों में बंद रहे थे, मौलाना आजाद थे, डॉ. अंबेडकर साहब ने संविधान बना दिया, आज देश उस पर खड़ा है, चल रहा है और जिस प्रकार से लगातार हम देख रहे हैं एक के बाद एक जो देश इतिहास बना रहा है दुनिया के अंदर, उसके बारे में मुझे कहना नहीं क्योंकि आज दुनिया की पहचान भी, हमारे मुल्क का जो मान-सम्मान है, वो कहां से कहां पहुंच गया है, कहां तो हम गुलामी की जंजीरों में जकड़े हुए थे, जिसकी बात हम यहां बैठकर कर रहे हैं और कहां पर आज देश कहां पहुंचा है। प्रधानमंत्री मोदी जी जाते हैं दुनिया के मुल्कों में तो कितना सम्मान मिलता है इनको, क्यों मिलता है? क्योंकि नरेंद्र मोदी जी उस देश के प्रधानमंत्री हैं जो हमारे मुल्क/राज्य/प्रदेश में आए हैं जो गांधी का देश है, जहां लोकतंत्र की जड़ें मजबूत हैं, गहरी हैं, 70 साल के बाद में भी वहां लोकतंत्र जिंदा रहा है, ये दुनिया को अहसास होता है तो उनको गर्व होता है कि उस देश के प्रधानमंत्री मोदी जी हमारे मुल्क में आ रहे हैं, तो आप सोच सकते हो कि किस प्रकार से ये देश आगे बढ़ा है और कहां बांसवाड़ा की बात करें, तो अभी मामा बालेश्वर जी का नाम अभी ले रहे थे मोदी जी, इनको ज्ञान है कि मामा बालेश्वर का क्या योगदान था, गोविंद गुरु के बाद में उन्होंने किस प्रकार जागृति का काम किया, लोगों को जगाने का काम किया और मैं समझता हूं कि नाथूभाई भगत, हीराभाई मेंबर ऑफ पार्लियामेंट थे, किसी ने कमी नहीं रखी और सम्प सभा बनाकर जो गोविंद गिरी जी ने प्रयास किए, उनको जेल जाना पड़ा, 8-10 सालों तक जेलों में रहे, आप कल्पना कर सकते हो कि उनका जो योगदान है वो देश कभी भूल नहीं पाएगा। इस मौके पर क्योंकि समय की सीमा है, प्रधानमंत्री जी को बोलना भी है, जाना भी है, तो मैं खाली 2 बातें कहकर अपनी बात समाप्त करना चाहूंगा कि राजस्थान सरकार, मैं प्रधानमंत्री मोदी जी को कहना चाहूंगा कि हम लोग आदिवासियों के लिए भी शिक्षा के क्षेत्र में, यहां विश्वविद्यालय खोला गया है बांसवाड़ा के अंदर, शिक्षा के क्षेत्र में हम लोग सभी तरह से कॉलेज खोल रहे हैं, उनका जाल बिछा रहे हैं, स्वास्थ्य सेवाओं में बहुत हम आगे निकल गए हैं, बल्कि मैं आपसे आग्रह करूंगा कि आप अगर हमारा मॉडल जो राजस्थान का है चिरंजीवी योजना का, उसको अगर आप एग्जामिन करवाएंगे, तो हो सकता है कि आप उसको पूरे देश में लागू करना चाहेंगे, पूरी तरह हमने राइट टू हैल्थ, यूनिवर्सल हैल्थ सर्विसेज देना प्रारंभ किया है राजस्थान के अंदर, उसका लोगों ने स्वागत किया है। एक बात जो यहां पर पहले रतलाम से डूंगरपुर वाया बांसवाड़ा, बांसवाड़ा रेल से जुड़ा हुआ नहीं है, जहां हम बैठे हुए हैं जिस जिले में, उसको पिछली बार हम लोगों ने रेलवे की स्कीम थी तो 50 पर्सेंट सरकार पैसा देगी स्टेट गवर्नमेंट देगी, उसको हमने मंजूर किया था उस जमाने के अंदर, उस वक्त हालात हमारे अच्छे थे, रेवेन्यू अच्छी आ रही थी तेल निकलने के बाद में, ढाई सौ करोड़ रुपए हमने जमा करवा दिए रेलवे को, जमीन हमने दे दी, काम शुरू हो गया, बाद में अचानक काम रुक गया है, तो मैं आपसे आग्रह करूंगा कि आप इस प्रोजेक्ट को आप वापस दिखवाएंगे रेल मंत्रालय में तो आपकी एक सौगात होगी राजस्थान को आदिवासी क्षेत्र को, रतलाम से सीधा डूंगरपुर, अहमदाबाद वाया बांसवाड़ा जुड़ जाएगा और ये मानगढ़ धाम में लोग आएंगे उनको बहुत बड़ी सुविधा मिल जाएगी और अंत में मैं फिर वो ही मांग करूंगा जो हम लोग कहते आए हैं कि राष्ट्रीय स्मारक घोषित हो मानगढ़ धाम, मुझे खुशी है कि प्रधानमंत्री जी आपने अभी 4-5 दिन पहले ही इसके बारे में जानकारी प्राप्त की है, आपने राजस्थान के, गुजरात के, मध्यप्रदेश के चीफ सेक्रेटरी से बात की है वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से स्वयं ने बात की है आपने स्वयं ने बात की है, इसके मायने होते हैं, इसका मतलब है कि आपके दिल-ओ-दिमाग के अंदर ये बात रही है कि मैं 1 तारीख को जाऊंगा मानगढ़ धाम तो उसके बारे में जानकारी प्राप्त करके जाऊं, मैं अपनी ओर से, आप सबकी ओर से, यहां बैठे हुए लोग हैं उनकी तरफ से और तमाम प्रदेशवासियों की ओर से मैं आपसे आग्रह करता हूं, निवेदन करता हूं कि आप मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा दें, यही बात कहता हुआ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, धन्यवाद, जय हिंद, धन्यवाद।

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