Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

श्री राहुल गांधी द्वारा उठाए गए #VoteChori के मुद्दे पर विशेष प्रेस वार्ता में मीडिया से बातचीत-

दिनांक
08/08/2025
स्थान
जयपुर


हालात बन गए हैं जब हम लोग कहते हैं कि डेमोक्रेसी को खतरा है लोकतंत्र को खतरा है देश के अंदर, बार बार हम बोलते हैं क्यों बोलते हैं, सारी संस्थाएं दबाव के अंदर हैं, कार्यपालिका हो, न्यायपालिका हो, विधायिका हो, और जितनी संस्था हैं वो दबाव के अंदर हैं और हम सब चाहेंगे कि यह सब संस्थाएं क्रेडिबल संस्था हैं इनकी क्रेडिबिलिटी बनी रहे, चाहे वो आईटी इनकम टैक्स या सीबीआई या ईडी हो और साथ में इलेक्शन कमीशन। इलेक्शन कमीशन पर पूरी डेमोक्रेसी का भविष्य टिका हुआ है, इलेक्शन कमीशन की निष्पक्षता सबसे जरूरी है, उसी के साथ में फ्यूचर जुड़ा हुआ है डेमोक्रेसी का, राहुल गांधी जी ने जो मामला उठाया है और कहा कि एटम बम होगा क्यों कहा, एटम बम का असर भी एक इलाके में पड़ता है पर ये तो जो है इसका असर तो पूरे देश की 140 करोड़ की जो आबादी है उस पर पड़ने वाली बात है क्योंकि चुनाव में अगर रिगिंग संस्थागत तरीके से करेंगे इलेक्शन कमीशन और सत्तारूढ़ पार्टी मिल जाएँगे तो फिर डेमोक्रेसी कहाँ रहेगी ? ये बहुत खतरनाक खेल हो रहा है देश के अंदर जिसकी तरफ राहुल गाँधी ने देशवासियों को सचेत किया है एक प्रकार से, ये कोई मामूली , कल का प्रेजेंटेशन राहुल गाँधी का मामूली नहीं था, ये पूरे मुल्क के लोगों को एक प्रकार से मैसेज देना था कि क्या- क्या हो रहा है, जो उन्होंने चार पांच पॉइंट कल बताए थे किस प्रकार से रिगिंग या किस प्रकार से इरेगुलेरिटी हो रही है, अब इलेक्शन कमीशन को चाहिए था कि निष्पक्ष होता वो, निष्पक्षता पर संदेह तो जैसे ही कानून पास किया मोदी जी ने, इलेक्शन कमीशन को कैसे सेलेक्ट किया जाए , तभी पैदा हो गया, जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक प्राइम मिनिस्टर, नेता प्रतिपक्ष और सीजेआई सुप्रीम कोर्ट के वो होंगे कमिटी के अंदर वो चयन करेंगे इलेक्शन कमिश्नर का, अगर वो प्रक्रिया होती तो न तो इतने संदेह पैदा होते, न सुप्रीम कोर्ट में एसआईआर के लिए जाना पड़ता, न राहुल गाँधी जी को ये नौबत आती कि वो ये सब बातें बताते , स्थिति ही नहीं बनती ये, पर जिस प्रकार से खेल हुआ, कि चार दिन में छह दिन में कानून नया बन गया और अमित शाह जी लग गए उसके अंदर सीजेआई की जगह अब सीजेआई को आप अगर सीजेआई को हटा कर के कमेटी में से चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को हटाकर के अगर अमित शाह जी गृह मंत्री को लगाएंगे तो आप सोच सकते हो लोग क्या सोचेंगे, संदेह पैदा नहीं होगा क्या, स्वाभाविक है, संदेह पैदा उस दिन से ही हो गया। उसके बाद में जो हम देखते हैं रवैए बदले हुए हैं इलेक्शन कमिशन के, रवैया बदल गया, अभी चालीस पचास साल से हम लोग देख रहे हैं इलेक्शन कमीशन पर कोई पक्षपात का आरोप भी लगाता था तो वो सफाई देता था, ये काम होता है,कोई भी व्यक्ति अगर मान लीजिए कोई भी व्यक्ति अगर मान लीजिए आरोप लगाता है, राहुल गांधी तो नेता प्रतिपक्ष भी हैं अगर मान लो आर्डिनरी एक आम आदमी वो भी अगर आरोप लगाए तो इलेक्शन कमीशन की ड्यूटी है कि पब्लिक में जो एक अगर परसेप्शन बन रहा है तो उसको साफ करें, ये इलेक्शन कमीशन की ड्यूटी है।

देश का नागरिक भी अगर आरोप लगा दे, छोटी पार्टी बड़ी पार्टी कोई आरोप लगा दे तो राहुल गांधी तो नेता प्रतिपक्ष भी है लोकसभा के अंदर वो आरोप लगा रहे हैं आप बजाए इसके ये कहने के हम इसकी पड़ताल कर लेंगे, बेईमानी हुई तो हम एक्शन करेंगे इसके खिलाफ तब तो लगता आपकी ईमानदारी, बल्कि आप यूपी में कर्नाटक में जो वहां पर इलेक्शन कमिश्नर हैं उनके थ्रू आप धमकी दिलवा रहे हो राहुल गांधी को, आप शपथ पत्र दो उसके बाद हम जांच करेंगे अरे शपथ पत्र तो राहुल गांधी को नही, राहुल गांधी शपथ पत्र क्या देंगे ? वो तो संवैधानिक पद पर वैसे ही हैं संविधान की शपथ लिए हुए हैं इलेक्शन कमीशन में अगर नैतिक साहस है और ईमानदारी है उसको आम जनता के लिए शपथ पत्र जारी करना चाहिए कि हम शपथ के साथ कहते हैं कोई जगह गड़बड़ी नहीं है देश के अंदर, इलेक्शन कमीशन को आगे आना चाहिए, विश्वास जम जाता, वो दे सकता है शपथ पत्र ? ये जो स्थिति बनाई देश के अंदर वो बहुत खतरनाक है पूरा देश चिंतित है पूरा सोशल मीडिया तो भरा पड़ा है जितने आपके इन्फ्लूएंसर हैं वो तमाम लोग जो है इस पर लगे हुए हैं और जो मुख्य धारा का मीडिया है उसको तो हम देख रहे हैं ग्यारह साल से जब से मोदी जी आए हैं उनकी सरकार आई है इतना भय पैदा कर दिया है इनके पूरे शासन के अंदर क्या कहें, भय रहित कौन है ये ढूंढना पड़ेगा।

स्थिति बन गई है, मीडिया जो मुख्य धारा का है चुप है, कल राहुल गांधी की इतनी इंपॉर्टेंट प्रेस कॉन्फ्रेंस थी मीडिया ने दिखाया उसको, इलेक्शन कमीशन क्या कह रहा है उसको दिखाएगा। ये भी देश के लिए बहुत ही बड़ा शुभ संकेत नहीं है ये मीडिया की निष्पक्षता इतनी मजबूत होनी चाहिए चाहे कोई पार्टी हो सत्ता पक्ष हो विपक्ष हो सत्य को आधार बना कर वो बोल्ड होकर अपनी बात कहे, उसको कहते हैं चौथा स्तंभ, ये चौथा स्तंभ कमजोर हो रहा है स्थिति ये है। और इनसे हम क्या उम्मीद करें बीजेपी से, आरएसएस बीजेपी तो जब आज का दिन जो भारत छोड़ो आंदोलन है उसके दिन भी वो गायब थे आरएसएस वाले मना कर दिया हम समर्थन नहीं देंगे गांधी के आह्वान को, ये तो वो लोग हैं, इनका कोई विश्वास अटूट विश्वास भी नहीं है डेमोक्रेसी के अंदर इसलिए इनको चिंता ही नहीं है कि इलेक्शन कमीशन क्या करे वो तो वही कर रहा है जो बीजेपी क्या चाहती है ये जो हालात बने हैं मैं समझता हूं कि हमें समझना पड़ेगा नई पीढ़ी को समझाना पड़ेगा ये देश सौभाग्यशाली है कि आजाद होने के बाद में जो संविधान बना डॉ अंबेडकर द्वारा पहले दिन से यहां पर चाहे महिला हो चाहे पुरुष हो किसी जाति का हो धर्म का हो वर्ग का हो सबको वोट का अधिकार दे दिया गया उसी दिन से जिस दिन से संविधान लागू हुआ, अमरीका बड़ी बड़ी बातें कर रहा है 150 साल लगे वहां पर काले लोगों को वोट का अधिकार देने में महिलाओं को देने में लगे 125 साल लगे, यूके को जिनको हम ने भगाया ब्रिटिश लोगों को यहां से वहां एक सौ साल लगे महिलाओं को वोट का अधिकार देने में ये तो इतना प्रोग्रेसिव स्टेट है कांग्रेस का नेतृत्व था गांधी का नेतृत्व था पहले दिन से ही जिस दिन से संविधान लागू हुआ उसी दिन से यहां पर इस देश के अंदर महिलाओं को पुरुषों को, शैडयूल्ड कास्ट हो ट्राइब हो आदिवासी हो ओबीसी हो कोई जाति बिरादरी का हो कोई भाषा बोलने वाला हो सबको बराबर एक वोट का अधिकार दिया गया है ये हमारे मुल्क की बहुत बड़ी मैं समझता हूं कि दुनिया के अंदर इस बात को पहचान है देश की ये मुल्क वो है जो आजाद होते ही सबको समान अधिकार दिया विकसित राष्ट्र जो कहलाते हैं अमरीका और इंग्लैंड वो नहीं दे पाए। इसलिए मैं ये कहना चाहूंगा कि दुर्भाग्य क्या है कोई जमाना था जब जो है हमारा इलेक्शन कमीशन है उसकी इतनी बड़ी साख थी कि दूसरे मुल्क जो थे वो हमारे इलेक्शन का सहयोग लेते थे अपने वहां पर चुनाव कराने के अंदर इतनी बड़ी साख हुआ करती थी, आज वो साख बची है ? दुनिया देख रही होगी राहुल गांधी जी क्या कह रहे हैं, एसआईआर में सुप्रीम कोर्ट क्या कह रहा है कितने कमेंट कर रहा है इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया पर, दुनिया देख रही है कोई जमाने में हमारे यहां के कमीशन के जो एक्सपर्ट होते थे वो चुनाव करवाते थे प्रशिक्षण देते थे दूसरे मुल्कों के अधिकारियों को आज स्थिति ये बन गई है तमाम क्रेडिबिलिटी कम हो रही है क्या ये चिंता नहीं होनी चाहिए देशवासियों को ?

और आजकल एक नया देख रहे हैं हम लोग, मैं भी एक बार गया था, बाद में तो पता नहीं क्या क्या हुआ, इलेक्शन कमिश्नर कह रहा है मैं तय करूंगा किस पार्टी से किस से मैं मिलूं बाहर बिठा दिया सबको, सबसे मिले भी नहीं है अभी, सबने बाहर आकर कहा हमारे साथ दुर्व्यवहार हुआ है ये मैं पहली बार देख रहा हूं, पहले मैं एक बार खुद गया था तब भी उनकी बात की टोन जो थी वो ठीक नहीं थी तो मैंने देखा बाय दी वे गलतफहमी हो गई होगी मुझे, इस प्रकार से वो बात कर रहे थे।

अब इलेक्शन कमीशन जो बिल्कुल निष्पक्ष होना चाहिए कोई पार्टी के लोग आएं बातचीत करें बात सुन लें उनकी उस पर जवाब नहीं देना नहीं दे बाद में जवाब दे देवे सोचकर के कानून देखकर के पर आप दुर्व्यवहार करो कि कौन अंदर आएगा कौन नहीं आएगा किसको मैं बुला रहा हूं, पत्रों का जवाब जिस लेंगुएज में चाहे खड़गे साहब को दो चाहे राहुल गांधी को दो या किसी को दो वो जो भाषा है वो भी अपने आप में मैसेज देती है कि इलेक्शन कमीशन निष्पक्ष नहीं है , जिस मुल्क में ये बात हो तो बहुत खतरनाक बात है।

इसलिए मैं कहना चाहूंगा कि स्थितियां जो बन रही हैं और जो राहुल गांधी जी ने एग्जांपल दिया है अब कल देखिए न आप, कल राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद में ये जो उछलकूद करते हैं बीजेपी वाले इसी वक्त में आएंगे मीडिया पर, डिस्कशन में भाग लेंगे या आरोप लगाएंगे कांग्रेस को पूरा हवा खड़ा करेंगे कल दिन भर गायब रहे ये लोग गायब क्यों रहे ? क्योंकि अपराधबोध से ग्रसित ये भी हो गए क्योंकि खुला आकर कहा राहुल गांधी ने एक एक का नाम चार चार जगह यूपी में भी नाम महाराष्ट्र में भी नाम उनका, कर्नाटक में दो जगह नाम उनका, एक ही वोटर्स के,जो आपने देखा होगा राहुल गांधी ने जो नाम लिया था वो तो आपके सामने ही है तो आप बताइए इस मुल्क में हो क्या रहा है, आदित्य श्रीवास्तव अब इसका नाम कर्नाटक में महादेवपुरा में है इसका नाम दो जगह है दूसरी जगह, इसका नाम जोगेश्वरी ईस्ट महाराष्ट्र में है और इसका नाम लखनऊ पूर्व में है। आप बताइए ये स्थिति है तो आशंका होना लाजिमी है और विपक्ष जो होता है वो हमेशा क्या करता है और करना चाहिए उसको मेरी दृष्टि में चाहे विपक्ष में कोई पार्टी हो, पब्लिक परसेप्शन क्या बन रहा है पब्लिक के दिल में क्या भावना आ गई है क्या शंकाएं संदेह पैदा हो गया है उसको रिप्रेजेंट करे पब्लिक में लाखों लोग होते हैं वो तो जाके वहां रिप्रेजेंट कर नहीं सकते हैं तो विपक्ष का काम और नेता प्रतिपक्ष है तो बड़ा जिम्मेदारी है पॉलिटिकल पार्टियां हैं तो उनके अध्यक्ष की बड़ी जिम्मेदारियां हैं वो बताएं आरोप लगाएं सरकार पर कि भई ये पब्लिक परसेप्शन हम भी को कन्विंस्ड हैं और सत्ता पक्ष को बड़ी शालीनता के साथ में अगर उन में विश्वास है लोकतंत्र का और लोकतांत्रिक मूल्यों का तो उनको चाहिए शालीनता के साथ में स्पष्ट करें स्पष्टीकरण दें खंडन कर दें कोई दिक्कत नहीं है उसके अंदर पब्लिक फिर फैसला करती है कि कोई सही है कौन गलत है विपक्ष कह रहा है वो सही है जवाब इनका आया है वो सही नहीं आया है उनमें सत्यता नहीं है या जो जवाब आया है सत्ता पक्ष का उसमें दम है विपक्ष की बातों में दम नहीं है ये फैसला कौन करेगा पब्लिक करती है दुर्भाग्य से सब बातें खत्म है देश के अंदर। ये जो है मैं समझता हूं कि स्थिति तो यही हो गई है जहां मतलब छह महीने लगे राहुल गांधी को बताया कल उन्होंने कि जो फॉर्मेट दिए गए इतने बड़े बड़े वो बन गए वो डॉक्यूमेंट कोई पढ़ सकता है क्या ?
फोटो का मिला करना, कहाँ तो यूपी कहाँ महाराष्ट्र कहाँ वो महादेवपुरा कर्नाटक, एक एक पेज को संभालो फोटो ढूंढने के लिए वोटर लिस्ट के आईडी नंबर ढूंढने के लिए कितना टाइम लगता है , छह महीने वो कह रहे थे, अगर वो फॉर्मेट जो मांग रहे हैं, ( डाक्यूमेंट्स की कॉपी दिखाते हुए ) कोई पढ़ सकता है इनको, कोई आदमी , कोई पोलिटिकल पार्टी जांच कर सकती है कहाँ फर्जीवाड़ा हो रहा है कहाँ कहाँ हो रहा है ?बताइए,

ये स्थिति है इसको राहुल गांधी ने कल बताया बहुत अच्छे ढंग से भई मैं नहीं कह रहा हूं ये डॉक्यूमेंट इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया के दिए हुए हैं अगर हमें ये एक्सल फॉर्म में दे देंगे तो मिनटों में मालूम पड़ जाएगा कौन सा नाम डुप्लीकेट है ट्रिपलीकेट है क्या है ये ही तो मांग रहे है वो और डेमोक्रेसी में पॉलिटिकल पार्टी के मांगने का हक नहीं है क्या ये समझ के परे है कि किस प्रकार का व्यवहार इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया करने लग गया है। जैसा आरोप हम लगाते हैं बीजेपी पर और सरकार पर ये लोकतंत्र की हत्या कर रहे हैं और वो एक के बाद हिंदू धर्म हिंदू धर्म करते करते सामने आ ही रहा है अरे हिंदू भी है मुस्लिम भी है सिख भी है ईसाई भी है जैन भी है पारसी भी है अलग अलग भाषाएं भी हैं तभी तो मुल्क एक व अखंड है। कितनी बार कहें इंदिरा गांधी ने खालिस्तान नहीं बनने दिया पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए इतनी महान नेता थी वो कभी नाम लेते हैं ये लोग राजीव गांधी शहीद हो गए और जिस परिवार का राहुल गांधी की दादी शहीद हो गई पिता शहीद हो गए उसको भारतीयता का पाठ पढ़ाया जा रहा है , हो क्या रहा है देश के अंदर , जैसा माहौल होता है वैसा बिहेवियर करते हैं, चाहे ज्यूडिशियरी हो चाहे कार्यपालिका हो चाहे वो कोई भी विधायिका हो जैसा माहौल बनता है देश के अंदर उसी ढंग का फिर उनकी सोच निकलती है और वो कमेंट करते हैं ये स्थिति बनती है।

आज राज्यों के इलेक्शन कमीशंस की वेबसाइट बंद होने पर :

आज मैंने सुना कि वेबसाइट भी बंद कर दी गई है अभी हम ने निकाला कोशिश करी निकालने की हमनें अभी उसका लिया है स्क्रीनशॉट, तो चार वेबसाइट जो है राजस्थान की महाराष्ट्र की बिहार की और एमपी की ,चार वेबसाइट खुल नहीं रही हैं हो सकता है इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद में खोल दें सुनकर के अलग बात है, अभी तो नहीं खुल रही है इसका मतलब है सुधार कर रहे होंगे वो लोग कुछ भी कर रहे होंगे पर मैं फिर कहना चाहूंगा कि राहुल गांधी का बोलने का गुस्से होने का एटम बम कहने का जो नजरिया है वो कोई व्यक्तिगत नहीं है देश हित के अंदर है उनका जीवन ऐसा है उनका व्यक्तित्व ऐसा है उनके कृतित्व ऐसे हैं मैंने बहुत करीब से पहचाना उनको, दुर्भावना या घृणा नफरत किसी के प्रति नहीं है चाहे वो नरेंद्र मोदी भी क्यों नहीं हों या कोई भी हो ये उनको पहचानने में उनको वक्त लगेगा वो अलग बात है। राहुल गांधी को पहचानने में इन लोगों को वक्त लगेगा वो व्यक्तित्व ऐसा है जो दिल में प्रेम प्यार मोहब्बत भाईचारा ले के चलता है पर देश हित के अंदर, देश हित में जो बोलते हों बात कड़वी लोगों को लगती है, आगाह करते हैं नोट बंदी को ले कर, कोविड को ले के और किसी मुद्दे को लेके तो लोगों को कड़वी लगती है पर सच्चाई सामने आती है वो बाद में। उसी प्रकार से ये जो इश्यू उठाया है LoP के रूप में ये उनका धर्म भी है कर्तव्य भी है कि पब्लिक में क्या मैसेज जा रहा है और खुल कर कहा पहले मैं बोल नहीं पा रहा था क्योंकि मुझको जो है खुद को श्योरिटी नहीं थी इसलिए मैं बोलता था पर उस में वो, वो मैं उस रूप में नहीं बोल पाता था जो मैं बोलना चाहता था अब जब मैंने छह महीने लगाए हैं और छह महीने में देख लिया है कि वास्तव में ये तो वोटों की चोरी हो रही है और ये तो लोकतंत्र को खतरा है तब जाकर के मैं ये प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहा हूं एटम बम का नाम दे रहा हूं क्योंकि एटम बम पूरे मुल्क का लोकतंत्र खंडन हो जाएगा कमजोर हो गया तो पूरे मुल्क को नुकसान है इसलिए एटम बम के रूप में है ये मुल्क के लिए मुल्क के भविष्य के लिए।

राहुल गाँधी जी को इलेक्शन कमीशन द्वारा शपथ-पत्र पेश करने का कहने से जुड़े प्रश्न के उत्तर में :

शपथ-पत्र तो देना चाहिए इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया को, कि हमारे यहाँ कोई गड़बड़ नहीं है, वो तो संवैधानिक पद पर हैं, जो संविधान की शपथ लिया हुआ है वो शपथ पत्र किसको देगा ? इलेक्शन कमीशन को देगा ? बेहूदी मांग कर रहे हैं वो, बेहूदी मांग कर रहे हैं, उनको कहना चाहिए कि हाँ हम शपथ के साथ कहते हैं जांच करवा ली है इसमें कोई गड़बड़ नहीं है, वो कहते आप जो बता रहे हो इसमें गलत है या सही नहीं है बताए हम को, ये बात तो वो खंडन करें न हम ने तो आरोप लगा दिए उन के ऊपर अब इलेक्शन कमीशन को चाहिए जो राहुल गांधी जो सीट बता रहा है महादेवपुरा की या यूपी की या जो अलग अलग जगह वोट है श्रीवास्तव के उस पर मानलीजिए कि उनको लगता भी की नहीं राहुल गांधी जी बता रहे है वो ठीक नहीं है , सच्चाई ये है ये बात तो भई जो डेमोक्रेसी में क्या होता है विपक्ष सवाल पूछता है सत्ता पक्ष होता है ब्यूरोक्रेसी होती है विधायिका होता है ये जवाब देती है उसके बजाय वो कह रहे हैं आप शपथ पत्र दो झेंप मिटाने के लिए , झेंप मिटाने के लिए कह रहे हैं वो इलेक्शन कमीशन, कोई जवाब क्या देंगे, बीजेपी कल गोल हो गई दिन भर अंदाज लगा लो उससे, पहली बार मैं देख रहा हूं बीजेपी के लोग जो दस पंद्रह बीस हजार लोग छाए हुए हैं देश के अंदर और पेमेंट पर उनका काम यही है कि किस प्रकार बीजेपी सरकार और मोदी जी अमित शाह जी जो भी नेता हैं उनको सोशल मीडिया में कैसे हाइलाइट करें कोई उन के ऊपर बात कह दो आप सच्चाई भी कह दो वो सहन नहीं कर सकते उसी वक्त जवाब आएगा हमला हो जाएगा बाकी लोगों के पास साधन हैं नहीं हम लोगों के पास तो , आवाज दबा देंगे ये लोग ये इनका तरीका है मोदी जी के सोच का और वो चल रहा है देश के अंदर जबसे चुनाव में उतरे हैं मोदी जी 13 के अंदर पीएम के उम्मीदवार बने सितंबर 13 में मार्च के महीने से ये कन्वीनर या कैंपेन कमेटी चेयरमैन तब से पूरी प्लानिंग की हुई थी इन लोगों की उसी ढंग से जाल बिछा दिया देश के अंदर, उसी ढंग से ये यूज़ करते हैं सोशल मीडिया को उसी ढंग से देश को प्रभावित करते हैं वही कारण है कि हिंदू और मुस्लिम की बात करके ये लोग कामयाब हो गए हैं, कब तक कामयाब होंगे, अंतिम विजय सच्चाई की होगी मेरा मानना है।

चार राज्यों में राजस्थान के भी होने जिनमें इलेक्शन कमीशन की वेबसाइट बंद हुई से जुड़े सवाल पर :

पता नहीं ये तो हम ने अभी देखा खोल के तो वो सब बंद थीं वो बंद है तो बंद क्यों की है कब खोलेंगे पता नहीं बंद की भी क्यों है, या बंद अपने आप हो गई, हम कोई इस पर आरोप नहीं लगा रहे हैं हम तो कह रहे हैं 8 तारीख में अभी हम आए हैं कुल चार जगहों की चार राज्यों की बंद की हुई हैं तो आशंका पैदा होती है कि कल जो इश्यू बना है उसमें और कोई जांच कर रहे होंगे ये, कोई गलती सुधार रहे होंगे ये, पता नहीं, अंतिम बात यही है जो मैं समझता हूं कि देशवासियों के दिमाग में होना चाहिए कोई पार्टी हो अगर राहुल गांधी जी ने जो नाम बताए एक लाख दो सौ पांच अब वो एक लाख दो सौ पांच वोट्स किसे कहते हैं फर्जी बनाए गए तो कोई मामूली आंकड़े तो नहीं है न ये, मामूली आंकड़े कहां हुए, पूरा जो चुनाव का परिणाम बदल जाता है, डुप्लीकेट मतदाता ग्यारह हजार नौ सौ पैंसठ, फर्जी और अमान्य पते चालीस हजार नौ एक पते पर सौ मतदाता, एक सिंगल रूम का फ्लैट है और उसमें उदाहरण के रूप में दो सौ नाम हैं एक सिंगल फ्लैट के अंदर, सिंगल रूम है उसमें डेढ़ सौ है नब्बे है जो भी है तो ऐसे जो हैं एक पते पर थोक मतदाता दस हजार चार सौ बावन, तस्वीरें नहीं मिलती हैं चार हजार एक सौ बत्तीस, फॉर्म सिक्स का दुरूपयोग जो किया गया है तैतीस हजार छह सौ बयान्नू , अब ये इतनी मेहनत करी छह महीने की पार्टी ने मीडिया को टूट पड़ना चाहिए था , मुझे शिकायत है मीडिया से कि वो मीडिया चाहता क्या है देश की आजादी में तो इनकी बड़ी भूमिका रही है मीडिया की, आज हो क्या रहा है आज क्या हो गया है देश में मीडिया को , इतना डरपोक क्यों बन गया वो, देश को बचाना है कि नहीं बचाना, देश के लोकतंत्र को बचाना है कि नहीं बचाना है उनकी जिम्मेदारी नहीं है क्या ?अरे उस जमाने में फ्रीडम फाइटर भी पत्रकार हुआ करते थे जयनारायण व्यास जी और कई लोग ऐसे हैं, क्या हो रहा है देश में, इतनी मेहनत करी है पार्टी ने या तो आप मीडिया वालों को चाहिए था इसकी जांच करते वो, राहुल गांधी जी के इस छह महीने की जो जांच हुई उसकी जांच करते, उस पर वो कमेंट करते आइदर वे, अच्छा काम किया या ये सर्वे अच्छा नहीं किया।

इस आधार पर जो बाकी सरकारें बनी से जुड़े प्रश्न के उत्तर में :

राहुल गांधी ने कहा न जो सरकारें बनी हैं भारत सरकार खुद बनी है पच्चीस सीट अगर मान लो नहीं होती इनकी एमपी की, सब पे थोड़ी बेइमानी होती है बेईमानी इतनी ही होती है कि आप जीत जाओ चुनाव, वो बेइमानी बहुत बड़ी होती है। चुनाव जीतने के लिए क्या करना चाहिए उनको, धनबल इनके पास, क्या नहीं है बताइए, धनबल के आधार पर ही डेमोक्रेसी को खतरा हो गया है लूट लिया देश को, इलेक्टोरल बॉन्ड आ गए सुप्रीम कोर्ट कुछ नहीं कर पाया, असंवैधानिक बॉन्ड हैं आपके इससे बड़ा कॉमेंट क्या हुआ, जब सुप्रीम कोर्ट मान रहा है असंवैधानिक हैं रोक लगा दी आपने, पर जो हजारों करोड़ों इक्कठे कर लिए आपने धमकी दे दी ईडी की इनकम टैक्स की सीबीआई की और पचास करोड़ सौ करोड़ मंगा लिए आपने कुछ नहीं होगा उसका, आप जब्त कर लेते चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी हो किसी के भी हों अरे सिद्ध हो गया क्राइम पर सजा नहीं देंगे हम, क्राइम सिद्ध हो गया है सजा नहीं देंगे, क्या बात हुई, पैगासिस आया कुछ नहीं कर पाया सुप्रीम कोर्ट अब पैगासिस तो पैगासिस है कितनो की जासूसी हो रही है भगवान जाने क्या हो रहा है किसी को नहीं मालूम, कई सवाल ऐसे खड़े हो गए देश के अंदर कि सब मिलाकर देश में चिंता है लोग दबाव में हैं भय में जी रहे हैं और चिंतित भी हैं।
पब्लिक को आगे आना पड़ेगा, जब पब्लिक का मूड बदलेगा, समझ जाएंगे लोग तब फिर दिमाग ठिकाने आएगा। नहीं तो दिमाग ठिकाने नहीं आएगा।

अमेरिकी टैरिफ और विदेश नीति को लेकर सवाल तथा बीजेपी के राहुल गांधी जी को लेकर बयान :

भई जिनको समझ नहीं होती वो ही ये भाषा काम में ले सकता है राहुल गांधी के लिए, राहुल गांधी तो बहुत इंटेलीजेंट व्यक्तित्व वाला है देश विदेश नीति की उनको जानकारी भी है बहुत विद्वान आदमी भी हैं धर्म की हो चाहे राजनीति हो, सबकी समझ है, ऐसे जो बयान देते हैं उनकी खुद की समझ कुछ भी नहीं है, इस तरह की बातें करते है पर ये जो आपने क्वेश्चन किया है बहुत इंपॉर्टेंट है। जब आप कहना चाहिए की मुसीबत आती है तो चारों ओर से आती है ये कहावत है पुरानी, वो लागू हो रही है देश पर कभी किसी की हिम्मत नही होती थी इतनी आपस में बात करने की या कोई मुल्क के प्रेसिडेंट हिंदुस्तान के लोगों के बारे में या सरकार के बारे में ऐसी सोच भी रखें कमेंट भी करें, मैंने तो कभी हिम्मत होते देखा नहीं किसी की, इंदिरा गांधी ने जवाब दे दिया था निक्सन को भी, वो हिंदुस्तान है,
उस वक्त बहुत ताकतवर था अमेरिका,पर इंदिरा जी ने परवाह नहीं करी देश हित के अंदर, और पाकिस्तान के दो टुकड़े हो कर रहे , सातवां बेड़ा आ गया था समुद्र में तो भाई इस देश की ताकत तो ये रही है, अब जो आप घिरे हो चारों ओर से अब चारों ओर से आप अकेले पड़ गए हो चाइना पाकिस्तान खुलकर के आपके सामने आ गए ऑपरेशन सिंदूर के अंदर, दुनिया मान रही है और आप कुछ नहीं कर पाए। हमारे बहादुर सैनिकों ने उनका मुकाबला किया, उनको हम सलाम करते हैं

पर वो दोनों साथ आ गए जिस रूप में हथियार दिए गए आधुनिक हथियार जो चाइना के पास में हैं वो शायद और किसी मुल्क के पास नहीं है, आधुनिक हथियार उनको मिल गए पाकिस्तान को, पाकिस्तान के साथ में टर्की भी आ गया चाइना भी आ गया एक दो मुल्क और आ गए अमेरिका भी डायरेक्टली इनडायरेक्टली उनके साथ में लग रहा है जो वो उसका बिजनेस इंटरेस्ट है कुछ भी है जिस प्रकार से रशिया हमारा मित्र था वो भी चुप हो गया उस वक्त में, दुनिया के किसी मुल्क ने हमारे बारे में कोई कमेंट नहीं किए युद्ध चल रहा था तब, पहलगाम की घटना हुई तो सबने निंदा करी अच्छी बात है वो तो करनी ही पड़ती है आतंकवादी हमला हो कोई, कंडेम करें, सब ने किया, पर आगे खड़ा कोई नहीं हुआ कि आप सही हो तो इसलिए जब अलग थलग पड़ गए तो फिर ट्रंप साहब की हिम्मत हो रही है बार बार बोलने की, क्या मतलब, आप देखिए दुस्साहस कर रहे हैं पच्चीस परसेंट ड्यूटी,फिर धमकी अगले चौबीस घंटे में और कुछ भी कर सकता हूं, पच्चीस से सीधा पचास, कल फिर बोल रहे हैं आगे भी मैं कुछ भी कर सकता हूं, ये तो कमाल हो गया, इकबाल की बात है न, देश का इकबाल मजबूत रहे हम सबकी ये प्रार्थना है मोदी जी से, आप कुछ भी करो देश का इकबाल कायम रखो दुनिया का मुल्कों में और पूरा मुल्क आपके साथ में है, जैसे ऑपरेशन सिंदूर हुआ था तो पक्ष विपक्ष सब ने राहुल गांधी समेत, खड़गे साहब समेत सब ने एक स्वर में कहा था कि पूरा विपक्ष आपके साथ में है। वही बात राहुल जी की है खड़गे साहब की है,आप देश के लिए कुछ भी स्टेप उठाओ पूरा मुल्क आपके साथ में पक्ष विपक्ष साथ मिलेगा ये भावना है विपक्ष की ये मेरा मानना है।

स्व. कन्हैयालाल जी के परिवार को अभी तक न्याय न मिलने और उनसे जुड़ी फिल्म को लेकर सवाल के जवाब में :
अब फिल्म के साथ तो नहीं जोड़ता हूं पर मेरा मानना है कि हम जब विपक्ष में हैं लगातार बोल रहे हैं कि जब केस हुआ था बहुत संगीन केस था ये, हम सब चिंतित थे कि कहीं पूरे देश में पूरे प्रदेश में तनाव का माहौल नहीं बन जाए, उस वक्त हम ने जो स्टेप उठाए दो तीन घंटे में पकड़ लिया हत्यारों को और बाद में हम खुद चले गए उनके घर पे, विश्वास दिलाया परिवार को न्याय मिलेगा आपको, बच्चों की नौकरी दे सकते थे हम ने दिया, पचास लाख का एक प्रकार से सांत्वना के लिए मुआवजा दिया उनको जो आजादी के बाद में पहली बार पचास लाख किसी को दिए गए , सब कुछ किया,
उसी रात, उसी रात, उसी रात, उसी रात

हमारी पुलिस से केस ले लिया NIA ने नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी, और लेने के बाद में ये हालात हैं जो आप कह रहे हो। तीन साल हो गए हैं बयान ही हो रहे हैं अभी तक, जज साहब हैं ही नहीं कोर्ट अधिकांश वक्त में क्या एनआईए की ड्यूटी नहीं थी कि केस अलग तरह का केस है ये कोई मामूली केस नहीं था ये, ये वो था अगर हमारे पास होता तो ऑफिसर केस के दायरे में हम लेते एसओजी केस को गंभीरता से लेती, छह महीने में आठ महीने में मैं समझता हूं सजा हो जाती अब चाहे वो फांसी की होती या उम्रकैद होती मैं नहीं कह सकता , पर इतना मैं कह सकता हूं कि सजा हो जाती वो सजा तीन साल से नहीं हो रही है कोई बोलने वाला नहीं, अमित शाह जी यहां पर आए थे गृहमंत्री जी मैने उस दिन भी आने के पहले ट्वीट किया, मैंने कहा भई गृहमंत्री गृहमंत्री होता है कम से कम उनके ध्यान में नहीं भी होगा ध्यान में आ जाएगा कि ये मामला एक्स सीएम ने उठाया है मुझे कुछ जवाब देना चाहिए,या तो वो हमारी आलोचना कर देते कि आप हमें गुमराह कर रहे हो केस आगे बढ़ गया है या जो कुछ भी उनको कहना होता वो कहते , एक शब्द नहीं बोले है यहां पर, ये उनकी एरोगेंसी नहीं है? उनका अहम नहीं है क्या ये अहम, घमंड है, जब मैं मामला उठा रहा हूं जो मामला इतना गंभीर रूप ले चुका था कुछ भी संभव था,बताइए आप तब भी एक शब्द नहीं बोले वो और तमाम इनके नेता गुलाबचंद कटारिया जी सहित तमाम नेता उस दिन जो है वहां हैदराबाद गए राजस्थान से, दंगे भड़क जाते, ड्यूटी नहीं थी क्या दंगों को रोकते, और सबसे बड़ी बात है मुझे शक होता है जो हत्यारे थे उनका ताल्लुक बीजेपी से है ये मैं उस दिन से बोल रहा हूं जिस दिन से ये घटना हुई है क्या कारण है कि ये बार बार इसको डाउन प्ले किया है कि अगर ये बीजेपी का कार्यकर्ता है तो बीजेपी पर आरोप नहीं लग जाए हमारे ऊपर गंभीर आरोप नहीं लग जाए, अगर सजा होगी तो आरोप लगेगा इन पर कि इनके लोगों को सजा हो गई तो क्या कारण है कि उस पर आज तक चर्चा नहीं कर रहे ये लोग ? मुझे डाउट होता है।

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