Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

बीकानेर में सर्किट हाउस में मीडिया से बातचीत

दिनांक
31/07/2025
स्थान
बीकानेर


इलेक्शन कमीशन की कार्यशैली को लेकर पूछे प्रश्न के उत्तर में :

इलेक्शन कमिशन, नई बात क्या है भाई आरोप तो खुला है कांग्रेस का, और वह बिहेव्यर बदल गया है, निष्पक्ष वाली बात तो छोड़ दिजिए, जो एट लीस्ट कर्टसी होती है, कर्टसी होती है, वह बदल गई है, आप कल्पना कीजिए , फैसला तो कोई जज क्या देता है, या इलेक्शन कमिशन क्या देता है उसके ऊपर है, उसको मानना ही पड़ता है सब लोगों को, चाहे मजबूरी में मानो चाहे वह स्वीकार करो, परंतु व्यवहार जो मैंने देखा है इलेक्शन कमिशन का चिट्ठियों का जवाब जो वापस आता है, खड़गे साहब के पास में या राहुल जी के पास में या सोनिया जी के पास में, या वह जो बोलतें है, मिटिंगों में जाते है अभी दुर्व्यवहार किया गया, जो डेलीगेशन गया था पिछली बार उसके साथ में दुर्व्यवहार किया न , तो वह बाहर आकर बोले भी है कि हमारें साथ व्यवहार अच्छा नही किया गया है, मैं भी यह कह रहा हूँ एक बार गया था मैने उस दिन महसूस किया, मैने तो खाली महसूस किया, इन्होने तो व्यवहार को भुगत के आए हैं यह लोग यह तरीका है इलेक्शन कमीशन को अपना जुडिशियरी में क्या कहतें है, न्याय जो खाली दिखना भी चाहिये, खाली होना ही नहीं चाहिये, इनको चाहिए कम से कम न्याय दिखाओ तो सही , वह ही नहीं दिखाते आप लोग ।

जब पूछा गया कि इसका रास्ता कैसे निकलेगा इलेक्शन कमिशन तो इंपोर्टेंट है -

जब दुश्मन मान रहे है हम लोगो को बीजेपी वाले तो, पब्लिक ही रास्ता निकालेगी और पब्लिक रास्ता निकाल सकती है, पब्लिक का कॉमनसेंस एक्सट्राऑर्डिनेरी देश के अंदर है, एक्सट्राऑर्डिनेरी, ओवर कॉमनसेंस पढ़े लिखे कम हो सकतें है लोग इस देश के अंदर अनपढ़ भी हो सकतें हैं, पर गॉड गिफ्ट उनको है कि उनका जो रोबस्ट कॉमनसेंस है, अक्ल होशियारी, एक्सट्राऑर्डिनेरी, जब घर बैठे इंदिरा जी के वक्त पूरी कांग्रेस साफ हो गई थी इंदिरा जी खुद ही चुनाव हार गईं थी, आंधी चली ढाई साल कें अंदर इंदिरा जी की, दोनो उदाहरण एक लीजिये जब हराया सबको वह उदाहरण, ढाई साल में आंधी चली इंदिरा गांधी की ढाई साल में कैसे चल गयी, जिनको आपने घर बैठा दिया हो ढाई साल में लोग कहते थें गया हुआ राज वापिस कभी नही आएगा , वह राज आपका ढाई साल में वापस आ गया, हम लोग एमपी उस वक्त बनें थें, 45 साल पहलें और इंदिरा गांधी की आंधी चली थी देश के अंदर फिर वह शहीद हो गयी देश के लिये कभी बोलतें है यह लोग राजीव गांधी शहीद हो गये, या इंदिरा गांधी शहीद हो गयीं, पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिये, खालिस्तान नहीं बनने दिया, यह हमारी उपलब्धि हैं और इतिहास को याद नही करती है वर्तमान सरकार जो लोग इतिहास को भुला देतें है, वह खुद कभी इतिहास नही बना पाते हैं, यह मेरा मानना है।

श्री अमित शाह के पीओके संबंधी बयान को लेकर प्रश्न के उत्तर में :

यह उनको कहो झूठ बोलना बंद करें, जुमलेबाजी बंद करें, जवाब इसका दे जो पहलगांव में घटना हुई उसमें चूक कहाँ हुई कितने लोगों को आपने सजा दी है उसके लिए , हमारे तो मुख्यमंत्री इस्तीफे हो गए ,, गृहमंत्री भारत सरकार का इस्तीफा हो गया, बम्बई के अंदर सभी आतंकवार्दी को मार दिया गया उस वक्त पर 1 को छोड़कर के, एक बच गया था उसको फांसी मिली बाद में, इनको पूछा आपने यह घटना इतनी बड़ी घटित हुई है, आप जिम्मेवारी ले नहीं रहे हो, आप इस्तीफा क्यों नहीं देते हो, गृहमंत्री जी इस्तीफा क्यों नहीं देते है बता दीजिएआप, इतनी बड़ी घटना हुई है, कोई हलचल नहीं है, जांच तक नही बैठा पाए आप ढंग सें, जांच हो नहीं पाई , और अखिलेश यादव ने ठीक कहा कि भई आज पार्लियामेंट शुरू हो रही है, कल ही एनकाउंटर क्यों हुआ, पहलें क्यो ना आपने इम्मेडिएटली भाग कैसे गए वह लोग इतने महीने तो यह तमाम क्वेश्चन मार्क करते है।

कांग्रेस के सत्ता में आने को लेकर सवाल पर मेरा जवाब :

अरे छोड़िए और क्या कहेंगे वह लोग इनके देखते हुए सत्ता में आएँगे, भगवान सबको लंबी उम्र दें इन लोगों को, एक बार भैरोसिंह जी ने कह दिया था, मेरे जीते जी कांगेेस को सत्ता नें नही आने दूंगा, मैं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष था, मैंने कहा भैरोसिंह जी आपके जीते जी कांग्रेस सत्ता में आएगी , भगवान आपको लंबी उम्र दें, और आज हमारा शासन आप देखो, संयोग से 8 महीनें बाद में खुद ही मुख्यमंत्री बन गया, यह बात मैंने भैरोंसिंह जी को हाउस में सुनाई थी, इसलियें अमित शाह जी को भी मैं यह ही कहना चाहता हूँ, भगवान आपको लम्बी उम्र दें आप देखिये अगली बार चुनाव आ रहें है, अभी आपकी स्थिति खराब हो गई है 240 पर तो आप आ गये हो, आपकी सरकार नहीं बनी है, आपका एनडीए गर्वेमेंट है बीजेपी गर्वेमेंट नही है, इसलिये यह बातें तो कोई मानता नही है।

मेरी सक्रियता को लेकर पूछे गए सवाल पर उत्तर :]

देखिये भाई साहब बात सुन लो आप पत्रकार लोग जानतें होंगे सिनियर लोग भी जानतें है, जब से मैंने राजनीति शुरू करी है एनएसयूआई से वह दिन आज दिन अभी मैं जो एक्टिव हूँ न उसी दिन से एक्टिव रहा हूँ हमेशा, चाहे मैं सत्ता में रहा या नहीं रहा, यह मेरी फितरत के अंदर, जनता की सेवा करना, उनकी समस्या सुनना , हर प्रयास करना, यह मेरी फितरत के अंदर है, यह मेरी आदत में ,मैं सत्ता में रहूं या नहीं रहूँ हमेशा मैंने जनता से संपर्क रखा है, इसलिए आज भी जयपुर में 100-200 लोग आतें है, पर डे घर पर तो इसलिये आते है उनको मालूम है कि मैं उनकी बात सुनूंगा, समझूंगा ।
कोई बेचैनी नहीं हैं, कांग्रेस में क्यों बेचैनी होगी, प्रदेश कांग्रेस कमेटी हो या बीजेपी का हो वह बेचैन क्यों होंगे , बेचैन क्यों होंगे, उनको खुशी है, कि हमारे नेता लोग सब दौरा कर रहें हैं, इसमें क्या बात है।

कांग्रेस में गुटबाजी को लेकर सवाल पर मेरा जवाब :

यह मीडिया वालों को भी कहना चाहूंगा, कृपा कर के हमारे ऊपर कृपा रखो, कोई दूरिया नहीं सब समाप्त हो चुकी है , अब अगर आप लोग बोलोगें तो समझूंगा कि यह मीडिया की उपज है, हमारे हिसाब से कोई दूरिया नहीं हैं, कोई मतभेद नहीं है, कोई गुटबाजी नहीं हैं, राजस्थान के अंदर, अगर आप बोलते हो गुटबाजी है, गुटबाजी है, तो यह पूरा दोष आपको दूंगा, यह कह सकता हूँ ।
( बीकानेर में पोस्टर लगने पर) यह छोटी बातें मत करो, कई जगह मेरे नहीं लगतें हैं, क्या होगा नहीं लगतें हैं, मैं तो कहता हूँ उल्टा इतने पोस्टर जिदंगी भर लगे हैं, नही लगें तो क्या फर्क पड़ जाता है, यह बातें छोड़ो, कोई कार्यकर्ता हैं, कोई किसी का फोटो लगा दे, किसी का नहीं लगाए , तो यह फोटों के चक्कर में मैं नही पड़ता हूँ ।

मारवाड़, मेवाड़ समेत प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति पर :

देखिये मारवाड़, मेवाड़ हमारी चुनौती है बीकानेर संभाग भी, जो पहलें स्थिति थी, समझे आप, हम कमजोर हो गए हैं, बीकानेर संभाग में भी, मारवाड़ में भी, मेवाड़ में भी, सभी जगह थोड़ा बहुत फर्क पड़ा है, अभी चुनाव में हमने देख लिया अब हम इसकी भरपाई करेंगे, बीकानेर के अंदर भी, हमारे कल्ला साहब बैठें हैं, इतने सीनियर नेता हैं, हम लोग सब आएँगे यहाँ पर बार-बार बीकानेर संभाग में भी जाएंगे, राजस्थान भर में घूमेंगे और जनता को समझाएंगे कि आपकी जिंदगी, बच्चों की, आने वाली पीढ़ियों का भविष्य कहाँ पर है, मेरे हिसाब से भविष्य जो संविधान है, उसको बचानें के अंदर है उनका भविष्य लोकतंत्र को बचाने के अंदर हैं, जो खतरें में अभी हैं, संविधान भी, लोकतंत्र भी, और इसलियें कांग्रेस की विचारधारा हैं, उसका मूल आधार जो प्रिएम्बल है आपका, संविधान का प्रिएम्बल उसको सबको पढ़ना चाहिए मैं बार-बार कल मैंने हर भाषण में कहा हैं, हर घर में प्रिएम्बल लगा दो उसकों, बच्चें पढ़ें उसमें क्या लिखा हुआ हैं, बच्चें समझें बच्चें बड़े होंगे, तो उनके संस्कार उनके भावना होगी कानून की रक्षा करने की होगी, कानून का राज स्थापित रहें उसकी होगी, और उसमें सब बातें आ जाती हैं, समानता की आ जाती हैं, सब बातें सोशल सेक्यूरिटी आ जाती हैं, संविधान की मूल भावना हर व्यक्ति को हर नागरिक को पढ़नी चाहिए, अपने बच्चों को पढानी चाहिए, मेरा आह्वान है उनसे ।
मानेसर घटनाक्रम को लेकर पूछे सवाल का जवाब :

अब भाई, हर घटनाक्रम को मैं याद ही रखता रहूं, तो फिर दूसरा काम कैसे करेंगे हम? हमें आगे भी तो काम करना है, तो पुरानी बातें भूलनी पड़ती हैं। सबको मिलकर आगे बढ़ना पड़ता है। देशहित में तो यही है। आज हर व्यक्ति से कहता हूं मेरे कार्यकर्ताओं को सुन लो, दो बातें

नंबर एक देश को ज़रूरत कांग्रेस की है। कांग्रेस को मज़बूत करना हम सबका फ़र्ज़ है। सब अपने मतभेद भूलो। कांग्रेस मज़बूत होगी, कांग्रेस आगे बढ़ेगी , तभी तो जाकर आप देश को बचा पाओगे, देश की डेमोक्रेसी को बचा पाओगे। ठीक है, देश में लोकतंत्र बचा पाओगे।

अभी होसबोले साहब ने क्या कहा, आरएसएस के लोगों ने? समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता को हटा दो इनमे से, खतरा अभी तक बना हुआ है। यह दो महीने पहले की बात है। मैं दो महीने पहले की बात बता रहा हूं।

अंबेडकर साहब ने खुद का अपना संविधान बनाया था, मैंने सुना उसके अंदर मूल भावना यही थी, इसलिए इसको जो है ये छेड़छाड़ करना चाहते हैं, अभी ध्रुवीकरण करके देश चल रहा है जो खतरनाक है, धर्म जाति वर्ग और भाषाएं। अभी गृह मंत्री अमित शाह जी को पूछें कि भई आपने अचानक हिंदी का राग क्यों अलपा लिया? हिंदी तो हमारी मातृभाषा है, हिंदी के बगैर काम चलता नहीं है हमारा आप को ऐसा क्या हुआ कि आपने कहा कि नहीं जो इंग्लिश बोलेंगे वो शर्मिंदा होंगे, हिंदी बोलना, बातें कर क्यों रहे हो छह महीने से ? आपकी नीयत में खोट है , आप दक्षिण को भड़का रहे हो जान बूझ के, क्योंकि दक्षिण में इनका कोई वहां पर आधार नहीं है, ये जानते हैं वोट तो मिलते नहीं हम लोगों को, ये खतरा नहीं समझ पा रहे हैं, चालीस साल पहले पचास साल पहले जब मैं छात्र था तब इंग्लिश की बात वो करते थे हिंदी के खिलाफ थे, हिंदी का कोई बोर्ड वहां पर नहीं रहता था जला देते थे वो लोग, नॉर्थ के अंदर इंग्लिश का बोर्ड जला देते थे ये हम ने खुद ने देखा बचपन के अंदर, आप कल्पना कीजिए उस वक्त से हम राजनीति कर रहे हैं अगर इंदिरा गांधी पंडित नेहरू या जो भी प्राइम मिनिस्टर बने हैं ये अगर सब मिलके उस को नहीं करते देश की एकता के लिए अखंडता के लिए जान तक दे दी इंदिरा जी ने, अगर ये भावना नहीं रखते हम लोग सबको साथ में लेकर चलने की, तेलुगू तमिल मलयालम बंगाली, पंजाबी, गुजराती मराठी क्या लिखा मालूम है किसी को, आप बताओ इनको कि तुम भाषा को मुद्दा बना के देश को क्यों बर्बाद करना चाहते हो ? बड़ा सेंसिटिव इश्यू है ये और गृह मंत्री अमित शाह जी ऐसा तो नहीं वो समझदार नहीं है, समझते हैं इन बातों को, उसके बाद में अगर बोल रहे हैं इसका मतलब जानबूझकर इश्यू बना रहे हैं राजनीतिक लाभ लेने के लिए, और नॉर्थ इंडिया वालों को खुश करने के लिए, ये बहुत सेंसिटिव इश्यू है संवेदनशील इश्यू है इस प्रकार बोलना खतरनाक है देश के लिए, देश की एकता के लिए देश की अखंडता के लिए खतरनाक है, तब भी बोल रहे हैं वो, इसका मतलब बहुत बड़ी साजिश है बहुत बड़ी राजनीति है, जो इनकी चाल है न जो ध्रुवीकरण करके चुनाव जीतने की बार बार उसी का ये भी पार्ट है। और मीडिया को ज्यादा समझना चाहिए मीडिया की भूमिका है, जब देश आजाद हुआ था तो मीडिया , इंटेलेक्चुअल, कितने लोग शामिल थे उद्योगपति बड़े बड़े आज सब गायब हैं सब चुप हैं मीडिया चुप है आज मीडिया भी चुप है देश का मेजर मीडिया चुप है, सोशल मीडिया से काम चल रहा है, क्यों ?

Best viewed in 1024X768 screen settings with IE8 or Higher