बीकानेर में सर्किट हाउस में मीडिया से बातचीत
दिनांक
31/07/2025 |
स्थान
बीकानेर
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अमेरिकी राष्ट्रपति श्री ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए टैरिफ के मामले में पूछे गए सवाल के जवाब में :
देखिए एक तो ट्रंप साहब जिस रूप में व्यवहार कर रहे हैं वो अजीब लग रहा है पूरे मुल्क को, पच्चीस तीस बार तो बोल चुके हैं , पच्चीस तीस बार बोल चुके हैं कि जो है इंडो पाक वॉर मैने रुकवा दिया, और हमारे विदेश मंत्री कह रहे हैं कि कोई भी दुनिया के मुल्क का हस्तक्षेप नहीं था, खुल के राहुल गांधी जी को जवाब दे नहीं रहे मोदी जी, आपको कहने में क्या हर्ज है कि ये बिलकुल मिस्टर ट्रंप झूठ बोल रहे हैं उनका कोई हस्तक्षेप नहीं था ये कहने में हर्ज क्या है ? परसों डिबेट के अंदर वो बोल नहीं पाए पूरे देश में आलोचना हो रही है उसकी। अब उन स्थितियों में ट्रंप ने ये जो अचानक ही जो 25% का अनाउसमेंट किया है साथ में पेनल्टी भी, ये भी अचानक आ गया शेयर मार्केट घिर गया, और संभावना है कि उसमें कई ट्रेड जो हैं वो डाउन जाएंगे तो अभी जो है भारत सरकार उनके स्तर पर है कि वो क्या बिहेव कर रहे हैं क्या बातचीत कर रहे हैं क्योंकि मैंने सुना अभी तक निगोशिएशन चल रहा है, निगोशिएशन चल रहा है तो हो सकता है यूएस प्रेजिडेंट जो हैं चालाकी से निगोशिएशन करने के लिए बार्गेनिंग करने के लिए भी ये अनाउसमेंट कर दिया हो और निगोशिएशन अभी एक सप्ताह और चलेगा मैंने सुना है और अल्टीमेटली क्या फैसला होता है उस पर डिपेंड करेगा पूरा खेल। उनको तकलीफ है कि हम लोग ज्यादा टैरिफ लगाए हुए हैं इंडिया वाले, उनको तकलीफ है कि रशिया से आप क्यों समान खरीद रहे हो, एनर्जी का भी और मिलिट्री का भी सैनिकों का भी, ये तकलीफ उनको है, उसका नाम लेकर टैरिफ लगाने का जो फैसला कर रहे हैं तो रशिया तो वैसे हमारे पचास साठ साल से हम देख रहे हैं हमेशा से ही हमारा वहां पर ट्रेड रहा है। तेल भी वहां से आता है हमारे वहां पर मिलिट्री के साजो समान भी वहां से आते रहे हैं तो उनको तकलीफ अब क्यों हुई है पहली बार, अमेरिका के प्रेसिडेंट को या वहां की गवर्नमेंट को तकलीफ क्यों हो रही है, पर आपके साथ में इतने संबंध सुधरे हैं इतने लंबे अर्से से और यहां तक पहुंच गए कि अगली सरकार ट्रंप सरकार, कम बात है क्या, एक देश का प्राइम मिनिस्टर जा के कहे दूसरे मुल्क में हम तो उसको ठीक नहीं मानते अलग बात है हमारी दृष्टि के अंदर ऐसा होना नहीं चाहिए था पर पीएम मोदी जी ने तो एक्सट्रीमली अपना जो संबंध था भावनात्मक उनसे मिस्टर ट्रंप से, वो प्रकट कर दिया, पूरे प्रवासियों को इकट्ठा किया, उनका हाथ पकड़ा फिर वो पूरा चक्कर लगाया अगली सरकार ट्रंप सरकार, हाउडी मोदी कर दिया हाउडी मोदी करें हाउडी क्या अमेरिका कुछ किया, तो कहने का मतलब अब जो स्थिति बनी है ये संबंध अब कहां काम आ रहे हैं, अंतरराष्ट्रीय जगत के अंदर विदेश नीति जो आपकी होती है वो विदेश नीति सरकारें बदलती गईं पर विदेश नीति कभी नहीं बदली जो पंडित नेहरू के जमाने में विदेश नीति स्थापित हुई थी वो विदेश नीति लगातार रही है देश के अंदर, चाहे सरकार किसी भी पार्टी की बनी हो वाजपेई की गवर्नमेंट क्यों न बनी हो, मोरारजी भाई देसाई जब बने थे प्राइम मिनिस्टर और मोरारजी देशों देसाई के साथ में अटलबिहारी वाजपई बने थे विदेश मंत्री तब खुला कहा था कि हमारी विदेश नीति वही रहेगी जो पंडित नेहरू की चली आ रही है।
ये मोदी जी के वक्त में जो राइट लेफ्ट हो रहा है न उसका नुकसान हम भुगत रहे हैं, तमाम पड़ोसी मुल्कों से हमारी दुश्मनी हो गई, नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, भूटान, आप बताइए, म्यांमार, हमारे पड़ोसी हमारे साथ नहीं दुनिया हमारे साथ नहीं, इंडो पाक ऑपरेशन सिंदूर हुआ तो खाली आपका जो पाकिस्तान को सेव करने वाले कौन थे चाइना खुल के था टर्किश खुल के था, आर्मेनिया या कोई नाम कंट्री का वो था और रशिया चुप था तो उनको भी थोड़ा फील हुआ होगा हमारी विदेश नीति में कुछ डायवर्शन हो रहा होगा मेरा अंदाज है। ये नौबत क्यों बनी , अमेरिका तो पता नहीं क्या कर रहा था तो मैं शॉर्ट में ये कहना चाहूंगा जहां तक मैं समझ पाता हूं मेरा जो अनुभव है कि ये जो ट्रंप ने बहाना बनाया है अब देखते हैं सात दिन या जो कह रहे हैं कि अभी निगोशिएशन चल रहा है मैने सुना है तो उसके बाद में क्या परिणाम निकलते हैं उस पर डिपेंड करेगा। भारत सरकार भी अपनी पॉलिसी बनाएगी नई जहां से ड्यूटी कम होगी उन मुल्कों का सहयोग लेगी, कोई न कोई तरीका निकालेंगे जो कि कम्पनसेट कैसे हो सके डिपेंड करता है भारत सरकार पर। हमारे ऊपर नहीं करता है।
श्री राहुल गांधी जी के इस विषय में पूर्व में दिए बयान पर :
ये राहुल गांधी जी की बहुत बड़ी खासियत है चाहे कोरोना आया हो तब से लगा के मैं आज तक देख रहा हूं गलवान में जो कब्जा कर लिया चाइना का तब से मैं देख रहा हूं राहुल गांधी जी हर चीज को एडवांस में सरकार को आगाह कर रहे हैं जो हमारी विपक्ष की भूमिका है,वो भूमिका है, अब उसके बाद में भी अगर ये नहीं समझें तो उसका तो हम क्या कर सकते हैं, विपक्ष में हम लोग हैं और नेता प्रतिपक्ष भी हैं राहुल गांधी तो, उनकी बात को तवज्जो देना चाहिए था क्योंकि वो जिस पोस्ट पे हैं जैसे सरकार के पास फीडबैक आता है उसी रूप में नेता प्रतिपक्ष कोई हो किसी पार्टी का उसके पास भी फीडबैक आता है दुनिया भर से आता है।
दुनिया के मुल्क हों या शासन करने वाले लोग हों या उनके संबंधित लोग हों या मीडिया वाले हों तमाम खबरें पहुंचाते हैं उसी के आधार पर तो बोलता है व्यक्ति, तो जो राहुल गांधी जी का असेसमेंट था वो हमेशा उन्होंने आगाह किया देश को, और फिर बाद में सरकार ने मार खाई है ये स्थिति है।
एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर :
देखिए हमारी पार्टी का स्टैंड जो होगा वही हम सब समझेंगे, अभी तो पार्टी का स्टैंड आपको मालूम ही है। अभी तो कन्फ्यूजन चल रहा है ये खुद ही कन्फ्यूज्ड हैं, ये पता नहीं कर पाएंगे कि नहीं कर पाएंगे, कर पाएंगे तो इनको पूरा जो है नक्शा पहले अभी तो बताया नहीं देश को,खाली ये क्या कर रहे हैं कि जहां तक मुझे जानकारी है बड़ी चालाकी से आरएसएस को आगे करके उनके जो अलग अलग संगठन हैं इवन जो उनका जो प्रोफेसर्स हैं यूनिवर्सिटीज के वाइस चांसलर हैं जहां इनका दखल बनाया है इन्होंने आरएसएस ने उन सबके माध्यम से जहां तक मेरी व्यक्तिगत जानकारी मैं कह रहा हूं आपको कि ये तमाम मुल्क में तमाम लोगों को पहले पब्लिक को कनविंस कर रहे हैं उसको अपने हिसाब से ये आर्गुमेंट दे रहे हैं जिससे की कभी फैसला हो तो पब्लिक का इनको सपोर्ट मिले ये मैंने देखा है समझा है।
RGHS, दवाएं न मिलने समेत स्वास्थ्य सेवाएं की स्थिति पर :
ये सरकार पाप कर रही है, जो मानवता के लिए सही बात थी यह तो नहीं था कि भई इलाज फ्री मिलेगा तो खाली कांग्रेस वालों को मिलेगा ये तो नहीं था इलाज कोई पार्टी का हो आरएसएस का हो, बीजेपी का हो किसी पार्टी का हो, इलाज तो पब्लिक के लिए था शानदार योजना की तारीफ पूरी दुनिया में हो रही है देश के हर राज्यों में हमारी स्कीमों की चर्चा हो रही है पहली बार सब देख रहे हैं, खाली स्वास्थ्य की बात नहीं कर रहा हूं कई योजनाओं की, हमें गर्व होना चाहिए कि हमारी गवर्नमेंट ने ये काम किए, इस गवर्नमेंट का रुतबा तब अच्छा होता ये गवर्नमेंट और हमारे कामों को बंद करने के बजाय नाम बदल दो जैसा मैंने कल कहा वो जो अन्नपूर्णा किट था वो आते ही सरकार ने बंद कर दिया, मैंने कहा उसका नाम बदल दिया कोई बात नहीं बंद क्यों किया आपने अगर सरकार फोटो लगी हुई थी अशोक गहलोत की तो अशोक गहलोत की फोटो हटा दो और पंडित भजनलाल की फोटो लगा दो यही तो मैंने कहा क्या फर्क पड़ता, फोटो हट जाती भजनलाल जी की लग जाती स्कीम चलती गरीबों के लिए ये मैं उदाहरण दे रहा हूं आपको, जो सरकार इस स्तर पर जा सकती है उस सरकार से क्या उम्मीद करें प्रदेशवासी ?
चाहे स्वास्थ्य योजना हो चाहे पेंशन का मैंने सुना बीस तीस लाख नाम काटने की योजना बना रहे हैं ये लोग सब जगह ये जो है पेमेंट कर नहीं पा रहे पूरी इनकी स्थिति इतनी खराब हो गई कि सरकार में हाहाकार मचा हुआ है हर विभाग के अंदर, कोई पेमेंट नहीं हो रहा है खाली बजट की घोषणा जो है खाली कागजों के अंदर वो है, लागू कोई हो नहीं रहे , हमारे हम ने रिकॉर्ड बनाया है हम ने जो घोषणाएं करी मैं अपने अनुभव से कह रहा हूं तीन बार मुख्यमंत्री रहा हूं इस बार जो इंप्लीमेंटेशन हुआ है हमारी स्कीमों का कोई सोच नहीं सकता।
बिल्डिंग बनने लग गईं बड़ी बड़ी, और तो और वो आईपीडी टॉवर बन रहा है जयपुर के अंदर, कंस्टीट्यूशन क्लब बन गया, आरआईसी बन गई, गांधी जी का म्यूजियम बन गया, ये तो मैं उदाहरण दे रहा हूं आप को, सारे ही राजस्थान भर में, हमारी फिनटेक यूनिवर्सिटी बन रही है वहां जोधपुर के अंदर, स्पोर्ट्स में कॉम्प्लेक्स बन रहा है, क्या बताएं आपको, कोटा में रिवर फ्रंट बना है पूरे देश में कहीं नहीं है ऐसा रिवर फ्रंट, पार्क बना वहां पर, ऐसा पार्क बहुत शानदार पार्क।
मुख्यमंत्री जी के बयानों पर :
ट्वीट कर रहा हूं कि क्या आपके सामने ? बोल रहा हूं ट्वीट कहां कर रहा हूं ?
मीडिया द्वारा कहने कि मैं मुख्यमंत्री जी के लिए पंडित संबोधन पर जोर देता हूं :
मेरा जवाब :
उसमें तो उनको एतराज नहीं होना चाहिए।
चुनाव आयोग द्वारा वोटर आई डी सर्वेक्षण कराए जाने से संबंधित प्रश्न के उत्तर में:
इसके लिए राहुल जी महाराष्ट्र के चुनाव के बाद में लगातार बोल रहें हैं, जो आशंका प्रकट कर रहें हैं उस पर जवाब नही दे पा रहे यह लोग और बीजेपी मौन है उसके ऊपर इलेक्शन कमिशन जो है, उनका तरीका आजकल बदल गया है, पहले उनका रिश्ता निष्पक्ष होता था सभी पार्टियों के साथ में बात करने का लहजा अलग होता था, मैं खुद भी गया हूँ एक बार इलेक्शन कमिशन के अंदर इनके इलेक्शन कमिशन में जो चैयरमेन हैं या जो अन्य लोग भी होंगे, इनका लहजा बिलकुल बदला हुआ है। यह अनफॉर्च्युनेट है यह खतरा है, बार-बार कहते हैं देश में डेमोक्रेसी को खतरा है, क्यों कहते है संविधान को बचाओ का नारा क्यों लगातें है, राहुल गांधी इन बातों पर लगातें है। ज्यूडिशरी हो या इलेक्शन कमिशन हो, या ब्यूरोक्रेसी हो, सब जगह दबाव के अंदर आईटी, इनकम टैक्स, सीबीआई, आपका ईडी क्या है यह, क्या हो रहा है, कल ही आकंड़े आए है वहां पर पार्लियामेंट के अंदर चौंकाने वाले, पढ़ना उनको, कल आंकड़े आए थें 193 केस दर्ज किये 2 प्रूव हो गये, कितने छापे डाले होंगे, कल आंकड़े आए 500 से अधिक वो पता नही अभी पढ़ नही पाया पूरा तो पार्लियामेंट के आंकड़े हैं यह ,तो क्या हो रहा देश के अंदर डेमोक्रेसी कैसे बचेगी। तो यह देखो यह आंकड़े आए 10 साल में ईडी ने 5892 केस दर्ज किये है, इनमे से 1398 का ट्रायल शुरू हुआ, 76 प्रतिशत तो कोर्ट में गये ही नही, मतलब पहुंचा ही नहीं पाए यह लोग तो यह इनकी स्थिति है, और 8 मामलों का 5892 केस में से केवल 8 मामलों मे सजा सुनाई गई है, यानि .13 प्रतिशत ईडी ने कितना बदनाम किया इस सरकार को ।