प्रिय प्रदेशवासियों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
Posted on      Jan 04, 2019   by admin


मेरे पिछले मुख्यमंत्री कार्यकाल के अंतिम वर्षों मे मैने ब्लॉग के माध्यम से आपके साथ अपने विचार साझा करने का सिलसिला शुरू किया था किन्तु उसके बाद इसे जारी नही रख पाया। अब इस ब्लॉग के माध्यम से आपके साथ विचारों की यह श्रृंखला जारी रखने की कोशिश करूंगा।

साथियों, प्रदेश की जनता ने भाजपा को वर्ष 2013 में प्रचंड बहुमत के साथ विजय दिलाकर बहुत आशा के साथ सत्ता सौंपी थी, किन्तु पूरे पांच वर्षों तक सरकार ने निकम्मेपन का परिचय देते हुये जनता के दुःख दर्द से नाता ही तोड़ लिया और प्रदेश को ‘‘रामभरोसे” छोड़ कर जुमलों की खुराक पिलाती रहीं। नयी योजनाएं, नीतियां और कार्यक्रम देना तो दूर, हमारी पिछली सरकार की लोककल्याणकारी योजनाओं को भी बंद कर दिया। आमजन की सुनवाई बंद हो गई, कर्मचारी त्रस्त हो गए, विमुद्रीकरण ने मजदूर वर्ग की कमर तोड़ दी, किसान कर्ज के बोझ तले दब गया, नया बजरी माफिया पनपने के कारण आम आदमी के घर का सपना भी चूर-चूर हो गया। मुझे ऐसा लगता है कि भाजपा सरकार का आधा कार्यकाल पूरा होने से पहले ही जनता ने इसे उखाड़ फेंकने का मानस बना लिया था। चुनाव आते ही प्रदेश की जनता ने ऐसी अकर्मण्य सरकार को उखाड़ फेंका तथा संवेदनशील, पारदर्शी, जवाबदेही एवं कुशल प्रशासन के साथ मानवीय पहलुओं को ध्यान रखने वाली कांग्रेस की सरकार को पुनः सत्ता सौंपकर सेवा का मौका दिया।



सत्ता संभालते ही हमने तीन दिन में ही सबसे पहले अन्नदाता किसानों के कर्ज को माफ करने का फैसला लिया। जुमलेदार किसानों के कल्याण के बारें में जुमले सुनाते रहे और जिम्मेदारों ने अन्नदाता का कर्ज माफ कर उसे राहत प्रदान की। कांग्रेस अध्यक्ष श्री राहुल गांधी लम्बे समय से किसानों की कर्जमाफी की लगातार मांग कर रहे हैं। सत्ता में आते ही उनकी भावना के अनुसार पंजाब, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, राजस्थान तथा छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकारों ने किसानों को कर्ज के मकड़जाल से मुक्त करने का कदम उठाया। किसानों को ‘‘कर्ज मुक्त” करने की बजाय हमारे प्रधानमंत्री जी ‘‘कांग्रेस मुक्त भारत” पर अधिक ध्यान केन्द्रित कर शक्ति और संसाधन बरबाद कर रहे हैं। प्रदेशवासियों को ‘‘कर्जमुक्त किसान’’ और ‘‘कांग्रेस मुक्त भारत’’ में से एक विकल्प चुनना था। उन्होंने ‘‘कर्जमुक्त किसान’’ का विकल्प चुनकर भाजपा के खिलाफ बिगुल बजा दिया। मैंने प्रधानमंत्री जी को देश से सभी किसानों का कर्जा माफ करने का अनुरोध करते हुए पत्र भी लिखा है।



भाजपा शासन में आमजन की किसी भी स्तर पर कोई सुनवाई नहीं हो रही थी जिससे आम लोगों में असंतोष और आक्रोश रहा। हमारी विगत कांग्रेस सरकार द्वारा लागू किये गये राजस्थान लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी अधिनियम-2011 और राजस्थान सुनवाई का अधिकार अधिनियम-2012 को लागू करने में भी भाजपा सरकार ने निष्क्रियता बरती जबकि उस समय भी इन दोनों अधिनियम की पूरे देश में खूब सराहना हुई थी। राजस्थान सुनवाई का अधिकार अधिनियम 2012 को लागू करने में तो राजस्थान देश का पहला राज्य था। इसी दृष्टि से मंत्रिमंडल की पहली बैठक में उक्त दोनों अधिनियमों की पालना की समीक्षा कर फिर से प्रभावी ढंग से उपयोग कर शासन में संवेदनशीलता, पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने का निर्णय लिया गया है।

कांग्रेस अध्यक्ष श्री राहुल गांधी जी के निर्देशन तथा आमजन से प्राप्त सुझावों के आधार पर तैयार जन घोषणा पत्र की भावना के अनुरूप हमारी सरकार संवेदनशील, पारदर्शी और जवाबदेही प्रशासन देने के लिए कटिबद्ध है। कांग्रेस पार्टी के चुनाव घोषणा पत्र को मंत्रिमंडल की प्रथम बैठक में नीतिगत दस्तावेज के रूप में अंगीकार कर मुख्य सचिव को निर्देशित किया गया कि वह इस आधार पर राज्य की नीतियों और कार्यक्रमों को बनाने का कार्य करावें।

भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री एवं मंत्रियों की जनसुनवाई हेतु उपलब्धता दुर्लभ होती थी। जनता के आक्रोश को देखते हुए भाजपा कार्यालय में बैठकर मंत्रियों ने जनसुनवाई का ‘नाटक’ जरूर किया। जनप्रतिनिधि को अपनी पीड़ा बताना जनता का अधिकार है जो उसे मिलना ही चाहिए। इसलिए हमने मंत्रिमंडल की पहली ही बैठक में यह निर्णय लिया कि सभी मंत्रीगण जयपुर में होने पर अपने आवास पर प्रतिदिन 9:00 बजे से 10:00 बजे तक प्रभावी जनसुनवाई सुनिश्चित करेंगे।

पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने डॉ. अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय एवं हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय शुरू किए थे। यदि इन्हें यथावत चालू रखा जाता तो आज देश और प्रदेश को युवा विधिवेत्ता तथा पत्रकारों की दक्ष नई पीढ़ी उपलब्ध हो जाती, किंतु भाजपा सरकार ने बदले की भावना तथा प्रचंड बहुमत के अहंकार के चलते अदूरदर्शी निर्णय लेते हुए इन्हें बंद कर दिया। अब फिर से इन दोनों विश्वविद्यालयों को प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया है।



भाजपा की छद्म राष्ट्रीयता किसी से छिपी हुई नहीं है। भाजपा सरकार के समय उनके लिए अशोक चिन्ह से ज्यादा महत्वपूर्ण श्री दीनदयाल उपाध्याय का चित्र था क्योंकि प्रदेश की भाजपा सरकार ने राजकीय लेटर पैड पर अशोक स्तंभ के चिन्ह को एक तरफ कर बीच में श्री दीनदयाल उपाध्याय का चित्र स्थापित कर दिया था। हमने अशोक स्तंभ को पुनः गरिमामय स्थान दिलाते हुए उसे पूर्व की भांति ही लेटर पैड के मध्य में स्थापित करने का मंत्रिमंडल की बैठक में फैसला किया।

लोकतांत्रिक प्रक्रिया में प्रत्येक व्यक्ति की भागीदारी होनी चाहिए। सभी नागरिकों को चुनाव लड़ने का अधिकार मिलना चाहिए। इसके विपरीत भाजपा सरकार ने पंचायतीराज एवं स्थानीय निकाय चुनाव हेतु शैक्षणिक योग्यता के मापदंड निर्धारित कर शिक्षा के आधार पर नागरिकों के एक वर्ग को चुनाव लड़ने के अधिकार से वंचित कर दिया। जब बिना पढ़ा-लिखा व्यक्ति विधायक/सांसद बन सकता है तो पंच/सरपंच/पार्षद के लिए शैक्षणिक योग्यता की बाध्यता का क्या औचित्य है। हमने न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता की शर्त के प्रावधान को ही समाप्त करने का निर्णय लेकर सभी नागरिकों को चुनाव लड़ने का अधिकार प्रदान किया है जो उदारवादी लोकतंत्र का परिचायक है।

मेरे पिछले कार्यकाल में बाड़मेर में रिफाइनरी परियोजना का कार्य शुरू किया गया था। यूपीए अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी जी ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना का शिलान्यास किया था। भाजपा सरकार ने बद्नियत से इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया। मैं हर मंच से इस योजना को पुनः प्रारंभ करने के लिए भाजपा से अपील करता रहा। मैंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखे किंतु उन पर कोई असर नहीं हुआ। अपने कार्यकाल के आखिरी महिनों में भाजपा ने परियोजना की समीक्षा कराई तथा शिलान्यास हो चुकी परियोजना का ‘कार्य शुभारम्भ’ के नाम पर फिर से शिलान्यास करने का विचित्र कार्य किया। जिस रूप में हमने इसकी शुरुआत की थी उसे यदि भाजपा सरकार आगे बढ़ाती तो अब तक योजना मूर्तरूप ले चुकी होती और लाखों लोगों को रोजगार मिल जाता। मंत्रिमंडल की बैठक में इस परियोजना के काम को तीव्र गति से एवं समयबद्ध तरीके से पूरा करने का निर्णय लिया गया है।



इसी प्रकार राज्य सरकार में विभिन्न पदों पर कार्यरत संविदा कर्मियों सहित अन्य कार्मिकों की विगत 5 सालों से कोई सुनवाई नहीं हुई। इन सभी की समस्याओं के समाधान के लिए कमेटी का गठन किया गया ताकि त्वरित निर्णय लिए जा सके। वृद्धावस्था पेंशन योजना की राशि भी प्रतिमाह 500 रूपये से बढ़ाकर 750 रूपये तथा 750 रूपये से बढ़ाकर 1000 रूपये की गई है।

जैसा कि मैंने पूर्व में भी कहा है कि राज्य में अब 24X7 कार्य करने वाली सरकार आ गई है। मेरी सरकार का पूरा प्रयास रहेगा कि आमजन यह महसूस करे कि यह सरकार उनकी अपनी सरकार है जिसमें उनकी समस्याओं और कठिनाइयों को सुना-समझा जाता है और उनका समाधान/निराकरण भी तत्परता से होता है। आइये, आप और हम सभी मिलकर प्रदेश के समग्र विकास के लिए संकल्पबद्ध होकर कार्य करें और राजस्थान को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाये।

आप सभी को पुनः नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।


(अशोक गहलोत)





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