Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

पूर्व सैन्य अधिकारी एवं पूर्व सैनिकों के साथ कोविड-19 जागरूकता अभियान में भूमिका के सम्बन्ध में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संवाद।

दिनांक
07/07/2020
स्थान
जयपुर


राजस्थान की भूमि में तो हमें गर्व होता है कि घर-घर के अंदर देश की सीमाओं की रक्षा करने का जज़्बा है। आजाद होते ही मुल्क में जबसे युद्ध हुआ 1962 चाइना के साथ में तब से ही देख रहे हैं, चाहे 1962 का युद्ध हो, चाहे 1965 का पाकिस्तान के साथ में युद्ध हो, चाहे 1971 में बांग्लादेश आजाद हुआ पाकिस्तान के दो टुकड़े हुए वो हमने देखा और करगिल के युद्ध में भी जो जांबाज़ लोगों ने अपनी जान की बाज़ी लगाकर के बहुत कठिन terrain थे वो, पहाड़ी इलाका था तब भी उन्होंने शहादत दी है और उन सबमें दो घटनाएं मुझे याद हैं जब मेजर शैतानसिंह जी शहीद हुए थे तब मैं खुद 12 साल का था, मैं खुद शरीक हुआ उनके दाह संस्कार में, जोधपुर के अंदर, तब से ही मन में भाव आते हैं कि किस प्रकार एक नौजवान अपनी जान की बाज़ी लगाता है देश की सीमाओं की रक्षा के लिए। करगिल युद्ध हुआ तब मैं मुख्यमंत्री था यहां पर 20 साल पहले लगभग, तब मैं करीब 56 शहीदों के घर गया था, क्या गांव के गांव उमड़ रहे थे गांव के गांव, क्या जज़्बा था और जवान जो थे वो नौजवान थे, 22 साल 24 साल 25 साल 26 साल के थे और उनके माता-पिता ही नहीं उनके दादा-दादी भी जिंदा हैं, उनको जब मैंने सुना उनके मुंह से दादा-दादी के मुंह से भी, मां-बाप के मुंह से भी कि मुख्यमंत्री जी चिंता नहीं करो, हम अपने दूसरे बेटे को भी भेजने को तैयार हैं, ये जज़्बा राजस्थान के घर-घर में मिलेगा हमें। उस वक्त मैने कहा, मुझे गर्व है कि मैं उस राजस्थान का मुख्यमंत्री हूं जहां पर घर-घर में जज़्बा है देशप्रेम की भावना का और देश की सीमाओं की रक्षा करने का, इसीलिए मैंने उचित समझा कि हम कुछ साथियों से बातचीत करें आज जो, जैसा अभी आपने कहा कि पहले से ही आप लोग लगे हुए हैं। जैसे ही ये कॉल हुई आपकी और कोरोना का ये संकट पैदा हुआ तो मैं समझता हूं कि जो फौज में रह जाता है एक बार व्यक्ति उसके दिल में तो जीवनभर अंतिम सांस तक भी यही भावना रहती है कि मैं जब कभी भी मौका लगे, बाढ़ आ जाओ अकाल पड़ जाओ, सूखा पड़ो या कोई संकट आओ तो मुझे मेरी ड्यूटी निभानी है चाहे भले वो रिटायर्ड हो गए हों तब भी और यही भावना हम गांव में जाते हैं तो देखते हैं आज भी देखते हैं, गांव में कोई संकट आ गया, गांव में कोई मुसीबत आ गई तो पहले सैनिक बाहर निकलेगा फौज का जो रहा हुआ व्यक्ति है चाहे किसी भी पोस्ट पर रहा हुआ हो, वो अपनी ड्यूटी समझकर ही काम करता है।
ये संकट बहुत बड़ा है और पता नहीं ये संकट क्या मोड़ लेगा पूरे विश्व के अंदर कोई नहीं जानता है। वैक्सीन कब आएगी, कल मैं एक आर्टिकल पढ़ रहा था उसमें कहा, सालभर लग सकता है, ढाई साल लग सकते हैं, अलग-अलग तरह के आर्टिकल आते हैं, कुछ कहते हैं 10 महीने में आ जाएगा, तो ये तमाम बातें वैक्सीन आने पर ही मालूम पड़ेगी, इस स्थिति में हम लोग चल रहे हैं। इसलिए लंबी लड़ाई की तैयारी भी करनी है, शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म। हमें इस बात का गर्व है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने जमकर के अपना इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत कर लिया है राजस्थान के अंदर, जैसा कि अभी स्वास्थ्यमंत्री जी बता रहे थे आपको, कि किस प्रकार से हम पहले पुणे और दिल्ली भेजते थे सैंपल हमारे, आज हम 40 हजार से क्रॉस कर गए हैं टैस्टिंग के लिए और टैस्टिंग ही इसका एक तरीका है, अप्रोच है रोकने का और आईसीयू बैड हो चाहे वैंटिलेटर हो, 1 लाख हम लोगों ने क्वारंटाइन के लिए तैयारी कर रखी है राजस्थान के अंदर, इस प्रकार से राजस्थान देश के अंदर वो राज्य बन गया है जिसमें कैसी भी स्थिति बनेगी, वो हम लोग कोरोना जंग लड़ने में, मुकाबला करने में पीछे नहीं रहेंगे, ये हमारी तैयारी हुई है और आगे और होगी जब हमारे पीएचसी, सीएचसी, सब सेंटर, डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में भी और मजबूती आएगी। जो सुझाव देंगे डॉक्टर लोग, वो हमारे एमएलए साहेबान अपने-अपने क्षेत्र में चाहेंगे कि हम अपने क्षेत्र में इन हालात में इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने का प्रयास करें। तो कहने का मतलब यह है कि सरकार अपनी तरफ से इन्फ्रास्ट्रक्चर में कोई कमी नहीं रख रही है, ये डॉक्टर लोग रात-दिन लगे हुए हैं, आपने सबने महसूस किया होगा जो मुझे सुन रहे हैं पूरे राजस्थान के अंदर, इस बार ये जंग जो लड़ी गई है, ये आप सबके सहयोग से, कोई वर्ग ऐसा नहीं है राजस्थान का, डॉक्टर फर्टिनिटी तो है ही है, उसके अलावा पुलिस प्रशासन हो कांस्टेबल तक भी हो, चाहे वो सरकारी कर्मचारी हो, आंगनवाड़ी वर्कर्स हों, आशा सहयोगिनी हों, पटवारी-ग्राम सेवक ही क्यों नहीं हों, वार्ड पंच-सरपंच ही क्यों नहीं हों, जिला परिषद् या पंचायत समिति मेंबर हों, प्रधान-प्रमुख हो, पार्षद हों शहरों के अंदर, सबने मिलकर के मैं समझता हूं जो आह्वान किया गया जिस ढंग से, सब इन्वॉल्व हो गए और जैसा अभी कहा गया आपको, हमने शुरुआत ही यही की कि विपक्षी नेताओं को साथ लिया, धर्मगुरुओं को बुलाकर बातचीत की मंदिर में पूजा-पाठ आप खुद करें पर पब्लिक के लिए आना उचित नहीं रहेगा, उन्होंने हमारी बात को माना। एक्टिविस्ट्स जो थे उन्होंने हमारा पूरा सहयोग दिया, रिटायर्ड डॉक्टरों को बुलाया गया और ऐसा माहौल बन गया कि राजस्थान के हर नागरिक ने अपनी भूमिका अदा की है, कोई भूखा नहीं सोए, राजस्थान सतर्क है ये बात हमने कही थी। मुझे खुशी है कि कोई भूखा नहीं सोए इसे लोगों ने ऐसा अपनाया कि भामाशाहों ने, दानदाताओं ने, आप सबने जिसका जो बस चला उसने अपने-अपने हिसाब से घर पर खाना बनाया कुछ बांटा भी है, बाकि संस्थाएं भी आगे आईं, एमएलएज भी सामने आए चाहे कोई पार्टी के हों, एमएलए फंड से उपयोग किया गया और अपने प्रभाव का उपयोग लेकर भी लोगों को मोटिवेट किया गया। तो मैं ये कहना चाहूंगा सब तरह से लोगों ने पका हुआ खाना भी और कच्चा खाना भी बांटा। सरकार ने कोई कमी नहीं रखी, ढाई-ढाई हजार रुपए हमने खाते में डाल दिए मजदूरों के, बीपीएल, अंत्योदय योजना वालों को, स्टेट बीपीएल के लोगों को और करीब-करीब जनता को गेहूं और दाल, भारत सरकार का सहयोग भी मिला हमें और सहयोग की कहीं कमी पड़ गई मान लीजिए, उनके नॉर्म्स में नहीं आते थे तो सरकार ने मार्केट प्राइस से, रिकवरी रेट तो आज हमारी हाइएस्ट है देश के अंदर, 80 पर्सेंट से पार कर गई हमारी और डबलिंग रेट भी बहुत शानदार है हमारी देश के अंदर, सब तरीके से हम पैरामीटर में बहुत आगे हैं और पूरा देश मानता है, इस बात की हमें खुशी है।
भीलवाड़ा मॉडल बना, हमने नहीं बनाया था उसको, वो भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने डिक्लेयर किया था, इस रूप में ये अभी तक कोरोना की लड़ाई लड़ी गई है।
आज हम आपके साथ बैठे हुए हैं, मैं चाहूंगा कि आप अपनी बात अपने अनुभव गांव के आपके क्षेत्र के बताएं जिससे और हम क्या इम्प्रूवमेंट कर सकते हैं, आपको तकलीफ देने का विशेष मकसद यही है कि सरकार चाहती है हर वर्ग से बात करे, हमने बातचीत की है, सरपंचों से बात की है सबसे बात की है, जिससे कि हमें गांवों तक का फीडबैक मिले और सरकार का जो गवर्नेंस है कोरोना के अंदर उसको हम लगातार इंप्रूव करते जाएं, ये हमारा मकसद है। मुझे खुशी है कि आप सब जिलों से बहुत रुचि के साथ आए हैं और जैसा कि हमारे सैनिक कल्याण मंत्री जी ने कहा, कभी मौका लगेगा और आप लोग चाहोगे तो हम चाहेंगे और लोगों को इन्वॉल्व करें, जिससे कि लोगों तक बात पहुंचे। वैसे आप लोग सक्षम हैं आज जो आप आए हैं, वो अपनी बात हम सबकी बात पहुंचाएंगे गांव-गांव में और सबको इन्वॉल्व करेंगे और जैसा मैने कहा आपको ये लड़ाई कब रुकेगी कोई नहीं कह सकता है, कोरोना के साथ में हमें रहना सीखना पड़ेगा और यह बात मैं गंभीरता से कहकर अपनी बात समाप्त करता हूं कि जो हमने अभियान चलाया है जागरूकता का अभियान, यही बचाव है जिंदगी बचाने का, इसके अलावा कोई इलाज नहीं है। सरकार मेडिकल साइड में सब तैयारी कर रही है, सब सुविधा कर दी है। इलाज जो संभव हो सकता है बिना वैक्सीन के, हमारे डॉक्टर लोग इलाज कर रहे हैं। मैंने कहा मृत्युदर जितना कम कर सको उसकी तरफ आगे बढ़ो। ये अभियान मैं अलग चलवा रहा हूं अस्पतालों में, विशेष ध्यान रखें परंतु आपसे भी निवेदन करूंगा कि पब्लिक को कहें घबराएं नहीं एक तो, पर घबराएं नहीं का मतलब ये नहीं है कि कोरोना खत्म हो गया है। कोरोना कोई खत्म नहीं हुआ है, कोरोना आज भी मौजूद है, हमें कोरोना में किस प्रकार बिहेव करना है, अगर इसमें लापरवाही की जो उदाहरण आ रहे हैं कई जगह पर। एक उदाहरण आ रहा है अभी शादी में गए थे कोई पड़ोस में हरियाणा के अंदर गए थे, कहां के लोग थे, झुंझुनूं से गए हरियाणा के अंदर तो जो गए सब कोरोना के पॉजिटिव होकर आ गए वहां से शादी के अंदर। इसी तरह अगर राजस्थान में कोई शादियों में जाएंगे, ध्यान नहीं रखेंगे, ये ही जब तक कोरोना के लास्ट व्यक्ति तक पहुंचकर टाइमली उसको टैस्ट करके इलाज शुरु नहीं कर देंगे, ये बढ़ता ही जाएगा। परसों 600 आ गए राजस्थान के अंदर, हाइएस्ट आ गए। क्योंकि हमने क्या किया टैस्ट बढ़ा दिए, टैस्ट बढ़ाएंगे तो संख्या बढ़ेगी। अप्रोच दो ही होती हैं इसके अंदर एक तो यह है कि अपने आप ही ये धीरे-धीरे बढ़ता जाएगा, उसमें कुछ लोगों की डैथ हो सकती है क्योंकि इसमें आपको शायद जानकारी होगी कि जो बीमार व्यक्ति पहले से ही है, चाहे वो किडनी का हो, हार्ट का हो, डायबिटिक हो या और कोई बीमारी हो, अगर उसको कोरोना पॉजिटिव होता है तो ज्यादा खतरा होता है, क्योंकि कोरोना इन्फैक्ट होते ही उसकी कई गुना ज्यादा बीमारी फैल जाती है या लंग्स की बीमारी हो। इसीलिए हम कहते हैं कि बुजुर्गों का विशेष ख्याल रखो 60 साल से बड़े लोगों का या ज्यादा बीमारियां एकसाथ में हैं तो उसके लिए बहुत मुश्किल काम होता है इलाज करना भी और बचना भी। उनका विशेष ध्यान रखें या जो 10 साल से छोटे बच्चे हैं उनका विशेष ध्यान रखें। बाकि लोग बचते हैं पर कभी- कभी वो भी व्यक्ति चला जाता है दुनिया से। हमें हर व्यक्ति का ध्यान रखना है और उसके दो ही अप्रोच हैं, या तो हम टैस्टिंग बढ़ाएंगे तो टैस्टिंग बढ़ाएंगे तो संख्या बढ़ेगी, संख्या बढ़ने से घबराने की जरूरत नहीं है आपको अखबार में पढ़कर, क्योंकि संख्या बढ़ने का मतलब नहीं है कि वो सब संक्रमित हो गए तो सब तकलीफ में आ गए। दो तरह के संक्रमित थे, एक तो हैं जिनके सिम्टम्स आते हैं खांसी-जुकाम-बुखार आ गया, स्थिति बिगड़ रही है एक तो वो पॉजिटिव है, उसकी तरफ ध्यान देना ज्यादा जरूरी है सरकार का, भर्ती करो अस्पताल में टाइमली ले जाओ। अधिकांश मौतें वो हुईं राजस्थान के अंदर कि उसको पहले टाइमली अस्पताल में नहीं ले जाया गया, घर पर ही रखा गया इलाज के नाम पर या दवा जो भी अपन करते हैं गांवों के अंदर अपने हिसाब से। ये ऐसी बीमारी है कि जैसे ही सिम्टम्स मिलें एक बार कृपा करके उसके अस्पताल लेकर के दिखवाएं, टैस्ट करवाएं, अगर नेगेटिव आए तो कोई दिक्कत नहीं है, अगर पॉजिटिव आता है तो आपको उसका इलाज शुरु करवाना चाहिए, भर्ती करवाना चाहिए। दूसरा जो है इसमें सिम्टम्स नहीं दिखते हैं, अधिकांश लोग आपको वो मिलेंगे जो ये संख्या आ रही है, या 600 आ गई मान लीजिए, 550 वो लोग होंगे जिनके हमें लगता ही नहीं कि कोई न जुकाम है न खांसी है न बुखार है, तब भी वो पॉजिटिव आ गया, उसके लिए हमें चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, 99 पर्सेंट ठीक होते हैं वो। खाली उनको घर में अलग रखना जरूरी है या घर में या संस्थागत अगर सरकार ने बनाया है उसके अंदर, वो इसलिए मैं कह रहा हूं, वो अगर आदमी अभी उसके सिम्टम्स नहीं हैं न खांसी न बुखार न जुकाम है तब भी वो संक्रमित अगर है तो उसकी इम्युनिटी मजबूत है, उसकी बीमारी से लड़ने की क्षमता मजबूत है, इसलिए उसमें सिम्टम्स नहीं हैं परंतु अगर वो व्यक्ति दोस्तों में जाएगा, घूमेगा फिरेगा, और लोगों को संक्रमित करेगा, हो सकता है उसकी इम्युनिटी कम हो, बीमारी से लड़ने की क्षमता कम हो तो वो व्यक्ति संक्रमित होकर तकलीफ में आ सकता है और बीमारी फैल सकती है। इसलिए हमें जरूरी है कि हम बिल्कुल ध्यान रखें, हर व्यक्ति को हम कैसे ध्यान रख रहे हैं, हम भी कोशिश कर रहे हैं, अधिक से अधिक हम लोग टैस्ट करवा रहे हैं, जहां कोई मिल जाता है संक्रमित पूरे एरिया को हम, पहले तो हम कर्फ्यू लगाते थे, आजकल अप्रोच बदल दी है भारत सरकार ने भी और हम लोगों ने भी कर्फ्यू की बजाय उस इलाके को क्वारंटाइन करके हम लोग चाहते हैं उस इलाके के लोगों को क्वारंटाइन करें घरों में और उनका टैस्ट करवा लें।

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