Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्रसंघ कार्यालय उद्घाटन समारोह में संबोधन:

दिनांक
28/02/2020
स्थान
राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर


मुझे खुशी है कि राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्रसंघ ऑफिस के उद्घाटन के अवसर पर मुझे आने का अवसर मिला। पहले भी मैं इस मंच पर कई बार यहां आ चुका हूं। तो मुझे अच्छा लगता है कि राजस्थान विश्वविद्यालय छात्रसंघ के जब कभी भी प्रोग्राम होते हैं तो छात्रों में छात्राओं में जो उत्साह देखने को मिलता है। सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं और जब कभी भी आए हैं हम लोग तो देखा है, नौजवानों में छात्रों में कॉन्फिडेंस की झलक मिलती है। और आज अभी मेरे पूर्व वक्ताओं ने जो बातें कहीं आपको, एक तरफ तो रुचि गुप्ता जी ने कहीं देश के हालात के बारे में। आप सब लोग टीवी देखते हैं, रेडियो सुनते हैं, अखबार पढ़ते हैं। जो कुछ हो रहा है, इस बात का संतोष रहा कि पूरे देश के जो छात्र थे विश्वविद्यालय के और युवा थे, उन्होंने उन बातों को उठाया जिसके ऊपर निर्भर करता है, देश का भविष्य निर्भर करता है। और इसीलिए संविधान बचाने के लिए कई प्रदर्शन भी हुए, धरने दिए गए। अगर संविधान नहीं रहेगा, कानून का राज नहीं रहेगा तो आप सोच सकते हो क्या हो सकता है, जो अभी हो रहा है दिल्ली के अंदर। किस प्रकार से जेएनयू के अंदर, जामिया मिलिया में, गार्गी कॉलेज के अंदर जो खबरें देखते हैं तो विश्वास नहीं होता है कि ऐसा भी होता है। कैंपस के अंदर नकाबपोश लोग घुस जाएं, गुंडागर्दी करें टीचर्स के साथ में छात्रों के बाद में और पुलिस के एस्कॉट में वापस आएं, ये सुनने में अजीब लगता है और विश्वास भी नहीं होता है। पर जिस प्रकार के हालात देश में आज हैं, मैं समझता हूं कि छात्रों को युवाओं को और सोशल मीडिया हमारे देखते हैं हम लोग, मोबाइल हाथ में है सबके। ये राजीव गांधी की देन थी, जब वे प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने देश को 21st सेंचुरी में ले जाने की बात कही थी और आज इसीलिए हम देखते हैं किस प्रकार से गांव-गांव में खेतों में आज मोबाइल पहुंच गए हैं, पूरे देश-दुनिया से हम आज जुड़ गए हैं। तो आप लोग भी एक सपना देखो कि आगे फ्यूचर आपका क्या बने, क्या बनना चाहिए और कैसे माहौल में बनना चाहिए। पूरे मुल्क के बड़े-बड़े इकोनॉमिस्ट्स कहते हैं, हमारे पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी ने भी वो बात कही कि बिना सामाजिक सौहार्द्र के किसी देश की अर्थव्यवस्था मजबूत नहीं बन सकती है और बिना अर्थव्यवस्था मजबूत हुए किसी देश का कल्याण नहीं हो सकता है। ना निवेश आ सकता है डॉमेस्टिक या विदेश का, ना एक्सपोर्ट की स्थिति बन सकती है, ना पर्चेजिंग पॉवर बढ़ सकती है, ना रोजगार मिल सकता है। अभी आपने देखा कि, पढ़ते होंगे आप लोग, किस प्रकार रोजगार मिल नहीं रहे हैं लोगों को रोजगार समाप्त हो रहे हैं। ये चिंता का विषय बना हुआ है। छात्रों की भूमिका क्या हो राजनीति में कई बार यह डिस्कस होता रहता है, सालों से, जब मैंने राजनीति शुरु करी एनएसयूआई के माध्यम से, तब से मैं देखता हूं कि छात्रों को राजनीति में भाग लेना चाहिए कि नहीं लेना चाहिए, यह बहस चलती रहती है। और राजनीति क्या है, राजनीति भी सेवा का माध्यम है। आप सोशल वर्क करो, गरीब और किसान की हेल्प करो। अन्याय, अत्याचार, उत्पीड़न हो रहा है उसके लिए आप उठ खड़े हो, वो भी राजनीति है। राजनीति एक माध्यम है सेवा करने का। और जिंदगी के अंदर अगर आप अच्छे सोशल वर्कर हैं तो अच्छी राजनीति कर सकते हैं। इसलिए आज जो कुछ भी होता है देश के अंदर, प्रदेश के अंदर उस पर आपकी निगाह रहनी चाहिए। आपके विचार बनने चाहिए कि क्या हो रहा है। अच्छा काम हो रहा है तो एप्रिसिएशन मिलता है, गलत काम हो रहा है, चाहे सरकार हमारी ही क्यों नहीं हो, कोई भी सरकार हो किसी भी पार्टी की पर हमेशा छात्र जीवन में एक, जैसे हम कहते हैं खेल के मैदान में जब उतरता है कोई खिलाड़ी तो मैं किसी जमाने में केंद्र में मंत्री रहा था खेल का भी रहा था, टूरिज्म का भी रहा था, सिविए एविएशन का रहा था, मुझे मालूम है पर जब मैं खेल मंत्री बना तब मुझे मालूम है कि नौजवान जब खेल के मैदान में जाता है तब तत्काल निर्णय करने की क्षमता पैदा होती है, दूरदृष्टि पैदा होती है, अनुशासन सीखता है और वो जीवनभर उसके साथ चलता है। उसी प्रकार आप छात्र जीवन के अंदर जो गतिविधियां करते हैं चाहे वो खेल की हों, चाहे वो सांस्कृतिक हों, चाहे वो कोई गतिविधि हो उसका लाभ जिंदगीभर आपके साथ चलता है। चाहे आप किसी भी फील्ड में जाओ, अपना प्रोफेशन अपनाओ नौकरी में, इंडस्ट्रियलिस्ट बनो, सोशल वर्कर बनो, पॉलिटीशियन बनो तो जिंदगी में जो हमने विश्वविद्यालय में जो सीखा है, वो काम आता है। मुझे विश्वास है कि, चुनाव छात्रसंघ के होते हैं, पहले बंद कर दिए गए थे। पिछली बार मैं दूसरी बार मुख्यमंत्री बना था तब मैंने वापस शुरु किए थे चुनाव और मेरा मानना है कि चुनाव होते रहने चाहिए छात्रसंघ के चुनाव। और मुझे खुशी है कि आपने जो कमाल किया जैसे कि रुचि गुप्ता जी कह रही थीं, एक एससी की एक आपने अपने साथी को चुना है, आप लोग साधुवाद के पात्र हैं, धन्यवाद के पात्र हैं। ये कोई मामूली बात नहीं है, जिस देश में परंपरा से, संस्कार से, संस्कृति से आप देख रहे हो कि कितना बड़ा कलंक है मानवता पर, जब हम छूत-अछूत की बात करते हैं, गांवों में देखते हैं तो देखते हैं कि कितना बड़ा भेदभाव होता है। आरक्षण ऐसे ही नहीं दिया गया, हमारे उन महान नेताओं ने जो आज हमारे बीच नहीं रहे। गांधीजी के सानिध्य के अंदर जब पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद, किस प्रकार से उस वक्त सोचा गया जब डॉ. अंबेडकर ने संविधान बनाया। इतना बड़ा गैप है, अगर इस गैप को नहीं भरेंगे तो इस मुल्क में जहां अलग-अलग जातियां हैं, धर्म हैं, वर्ग हैं उनमें कभी शांति, सद्भाव, सौहार्द्र पैदा हो ही नहीं पाएगा। यही सोचकर के इस आरक्षण की शुरुआत हुई। अब तो आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को भी आर्थिक रूप से आरक्षण मिलने लग गया है। और हमने उनके लिए भी किया कि जो हर्डल्स थीं उनके लिए, तमाम हर्डल्स खत्म करके सिर्फ आय जो है 8 लाख उसको रखा हमने क्राइटेरिया और उसका पूरा वेलकम हुआ पूरा राजस्थानभर के अंदर वेलकम हुआ। इस प्रकार से मैं कहना चाहूंगा आपको कि आपकी नज़र रहनी चाहिए और उसी से आपका व्यक्तित्व बनेगा और आपका व्यक्तित्व देश की पूंजी होगी। आज मानव संसाधन के रूप में आप बैठे हुए हैं, आने वाला कल आपका है। आज की घटनाएं या जो घटनाएं घटित हो चुकी हैं, देश का इतिहास बन चुका है, 70 साल हो गए देश को आजादी के। जब मुल्क आजाद हुआ तब बिजली नहीं बनती थी। बिजली होती क्या है लोग समझते नहीं थे। आप कल्पना करें आप जो छात्र लोग हैं, बिजली को लोग जानते नहीं बिजली क्या होती है, वहां से शुरुआत करी थी इस मुल्क ने आजादी के वक्त में। सुई भी बाहर से आती थी मुल्कों से आज क्या नहीं है देश के अंदर विज्ञान में, तकनीकी के अंदर, उपग्रह छोड़े जा रहे हैं। इसलिए मेरा मानना है कि डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने ठीक कहा कि छात्रों को, नौजवानों को सपना देखना सीखना चाहिए, तब जाकर के हम लोग एक जज़्बा पैदा होगा कुछ करने का। कीर्तिमान स्थापित करने का जैसा कि आपके वीसी साहब बता रहे थे अभी रेड्डी ने रिसर्च किया स्टार्टअप के माध्यम से, तो तमाम स्थितियां बनाना आपके हाथ में है। हमारी सरकार ने अभी कई फैसले किए हैं, ये वो समय नहीं है कि मैं आपको उनके बारे में बताऊं, आप लोग तो पढ़ते होंगे अखबार के अंदर, उद्यमियों के लिए किए हैं, छात्रों के लिए भी किए हैं, स्पोर्ट्स के लिए किए हैं, खिलाड़ियों को हमने बहुत बड़ा जंप दिया है और राज्य स्तर के खेल प्रारंभ किए हैं हमने पहली बार आजादी के बाद में राजस्थान के अंदर, राज्यस्तर के गेम्स शुरु हो गए हैं, जिसको और मजबूत करेंगे आने वाले वक्त के अंदर। खिलाड़ियों को वजीफा बढ़ा दिया है, कई फैसले हमने किए हैं। मैं चाहूंगा कि सरकार जैसा कि अभी बता रहे थे वीसी साहब काफी आपके निर्णय हुए हैं, भारत सरकार ने भी किए हैं, राजस्थान सरकार ने भी किए हैं। हम सब मिलकर के कैसे विश्वविद्यालय की एक जो प्रतिष्ठा है, राजस्थान विश्वविद्यालय का नाम कम नहीं है। देश के अंदर जयपुर के राजस्थान विश्वविद्यालय की एक अलग छवि है। वो प्रतिष्ठा बनाए रखना आपके हाथ में है। आपका पूरा परिवार उस रूप में आपस में भाईचारा प्रेमभाव रखे और जिसकी झलक आप देखते हो बार-बार। पिछली बार भी आपने हमारे दलित साथी को कामयाब किया अध्यक्ष के रूप में ये कोई कम बात नहीं है। मैं बार-बार कहूंगा कि इससे विश्वविद्यालय के बारे में एक अलग मैसेज गया कि एक ऐसा विश्वविद्यालय भी है जहां पर सारे जाति और धर्म और जिसके लिए हम कहते हैं कि सर्वधर्म समभाव की भावना होनी चाहिए, धर्मनिरपेक्षता की भावना होनी चाहिए, उसका जीता-जागता उदाहरण राजस्थान विश्वविद्यालय है, ये मैं आपको कह सकता हूं। और जो आवश्य है जिंदगी के अंदर, आवश्यक है। हमारे संविधान की मूल भावना ही धर्मनिरपेक्षता की रही है, सर्वधर्म समभाव की रही है कि सभी जाति सभी धर्म के लोग मिलकर चलें। तभी ये मुल्क 70 साल के बाद में भी एक व अखंड है। रशिया जैसा मुल्क, अमेरिका के बराबर का मुल्क था वो हमारा खास दोस्त वो था देश के अंदर। जब बांग्लादेश बना, पाकिस्तान के दो टुकड़े हुए, इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं, आधा बेड़ा भेजा इस अमेरिका ने हमारे खिलाफ में, उसकी परवाह नहीं करी क्योंकि रशिया हमारा मित्र था, 16 टुकड़े हो गए उस मुल्क के, 16 देश बन गए आप कल्पना करो। और हिंदुस्तान के अंदर कितनी जातियां, कितने धर्म, कितनी भाषाएं बोलने वाले लोग हैं, तमिल, तेलुगु, मलयालम, गुजराती, पंजाबी, बंगाली, क्या लिखा हुआ है देखते ही नहीं हैं, समझ ही नहीं पाते हैं कोई व्यक्ति, अलग-अलग धर्म हैं यहां पर तब भी 70 साल के बाद में भी हमारी दुनिया में प्रतिष्ठा इसलिए है कि ये मुल्क विभिन्न धर्मों का, विभिन्न जातियों का, विभिन्न क्षेत्रों का, भाषाओं का, वर्गों का होने के बावजूद भी ये मुल्क एक रहा है अखंड रहा है, ये बहुत बड़ी बात है और लोकतंत्र कायम रहा है। लोकतंत्र कायम रहा है, हिंदुस्तान और पाकिस्तान एक साथ आजाद हुए थे एक ही दिन में बंदूकों का राज बार-बार पाकिस्तान के अंदर, सैनिकों का शासन, प्रधानमंत्री को जेल, उनको फांसी के फंदे पर लटका दिया भुट्टो को। कितनी बड़ी, सोच सकते हो कि हिंदुस्तान पाकिस्तान में कितना बड़ा अंतर है। और 70 साल का सफ़र तय करते-करते हम आज यहां तक पहुंचे हैं फिर भी हमें सुनना पड़ता है, 70 साल में क्या किया। उसको भी हम लोग बर्दाश्त करते हैं क्योंकि लोकतंत्र है, किसी को कुछ भी कहने का अधिकार होता है और इसीलिए आज लड़ाई चल रही है कि आप धर्म के नाम पर लोकतंत्र में, देश के अंदर संविधान सर्वोपरि है, उसकी धज्जियां मत उड़ाओ। धर्म के नाम पर आप भेदभाव मत करो कानून बनाकर के। इसके दूरगामी परिणाम होंगे कि जो आप देख रहे हो कि पूरे देश के राज्यों के अंदर कितने धरने चल रहे हैं। हमारे पास पूरी खबरें नहीं आती हैं। राजस्थान में 400 धरने हो चुके हैं आज तक 400 धरने हो चुके हैं। सोच सकते हो कितनी आग लगी हुई है दिल में लोगों के चाहे वो हिंदू हो चाहे मुस्लिम हो चाहे कोई वर्ग का हो कि कम से कम संविधान से छेड़छाड़ करने का अधिकार किसी को नहीं होना चाहिए। भय का माहौल नहीं होना चाहिए, अविश्वास का माहौल नहीं होना चाहिए, आज देश के अंदर भय का, अविश्वास का, चिंता का माहौल बन गया है, क्यों बन गया है ? इसलिए मैं समझता हूं कि कई बातें मेरे पूर्व वक्ताओं ने कह दी हैं, मैं वापस रिपीट नहीं करना चाहता पर कैसे हम सब मिलकर के राजस्थान के विकास में, राजस्थान के सोच में, आपके कुछ सुझाव होंगे हम वेलकम करेंगे और जो आपके विश्वविद्यालय में लाइब्रेरी की बात है या मुझे बताया गया है कि लाइब्रेरी बन रही है आपके यहां, रिसर्च का बड़ा काम शुरु हो रहा है, वीसी साहब बता रहे थे अभी, इन्क्यूबेटर के लिए स्वीकृतियां आ गई हैं। काफी काम आप लोगों ने हाथ में लिए हुए हैं और पानी के लिए मुझे पिछली बार कहा था, मैं माफी चाहता हूं कि मेरे कहने के बाद में किसी ने ध्यान दिया नहीं और अभी जब मुझे मालूम पड़ा कि मुझे जाना है विश्वविद्यालय तो मैंने खुद ने याद दिलाया कि उस पानी का क्या हुआ। मालूम पड़ा अभी स्वीकृति निकली ही नहीं है। तो मैंने कहा कि मैं तभी जाऊंगा जब स्वीकृति निकलेगी। तो मुझे खुशी है कि स्वीकृति निकल चुकी है 15-16 करोड़ की और बीसलपुर का पानी जल्द ही आपको विश्वविद्यालय कैंपस के अंदर मिलेगा। काम भी हम चाहेंगे कि टेंडर होने के बाद में जल्द ही उसको पूरा करवाएं और आप जल्द ही उसका लाभ उठा सकें। आप निश्चिंत रहें सरकार की तरफ से राजस्थान विश्वविद्यालय और जितने हमारे शिक्षण संस्थाएं राजस्थान के अंदर हैं, उच्च शिक्षा मंत्री बैठे हुए हैं बहुत ही डायनेमिक हैं, काम में लगे हुए हैं, मैं चाहूंगा कि राजस्थान के अंदर, अब वो राजस्थान नहीं रहा जो 70 साल पहले था। अब तो आईआईटी यहां पर है, आईआईएम उदयपुर में है, ट्रिपल आई टी कोटा में, ट्रिपल आईटी आपके जयपुर में भी प्राइवेट सेक्टर में आ चुकी थी, एम्स आ गए जोधपुर के अंदर, लॉ यूनिवर्सिटी आ गई जोधपुर के अंदर, आयुर्वेद का विश्वविद्यालय है, जाल बिछ गया है विश्वविद्यालयों का, स्पोर्ट्स विश्वविद्यालय हमने खोला था, सरकार बदल गई तो वो रुक गया मामला, डॉ. अंबेडकर लॉ यूनिवर्सिटी थी, वो रुक गई थी, हरिदेव जोशी के नाम से पत्रकारिता का विश्वविद्यालय था वो रुक गया था, वो वापस शुरु करवाया हम लोगों ने। अभी मैंने करीब 50 कॉलेजेज एक साथ में खोले हैं 50 कॉलेजेज खोले हैं। आप सोच सकते हो सरकार की मंशा क्या है। सरकार की मंशा है कि राजस्थान के अंदर और प्राइवेट सेक्टरों को अलाऊ मैंने किया था पिछली बार, पहली बार मैं सीएम बना 20 साल पहले तब हम लोगों ने, पहले हमारे बच्चे जाते थे कोई पुणे, कोई महाराष्ट्र, कोई बॉम्बे, कर्नाटक, हमने शुरु किया उसके बाद में आज इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज सब तरह के कॉलेजेज विश्वविद्यालय राजस्थान में प्राइवेट सेक्टर में आने लग गए, अच्छे से अच्छे आने लग गए। तो मैं चाहूंगा कि राजस्थान में शिक्षा का माहौल उच्च स्तर का बने, यहां के छात्रों को रिसर्च करने की सुविधाएं मिलें, अच्छी से अच्छी रिसर्च यहां पर हो उसकी शुरुआत इस विश्वविद्यालय ने करी है, मुझे इस बात की खुशी है। इस प्रकार से राजस्थान के विश्वविद्यालय के पढ़े हुए बच्चे जो हैं छात्र-छात्राएं राजस्थान के बाहर भी जाएं तो लगे कि राजस्थान के अगर कॉलेजेज के विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राएं हैं पढ़कर आए हैं तो उनका एक अलग से प्रतिष्ठा है, उनकी क्रेडिबिलिटी है और उनकी शिक्षा का स्तर ऊंचा है तब जाकर के आपको प्राइवेट सेक्टर में भी वेलकम करेंगे, ये मैं सोचता हूं कि हम सबकी भावना होनी चाहिए उसमें आपको राजस्थान गवर्नमेंट पूरी तरह कॉलेजेज विश्वविद्यालय को आगे बढ़ावा देने के लिए हम कमी नहीं रखेंगे, यही बात कहता हुआ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं और एक बार पुनः पूजा वर्मा को तमाम इनकी टीम को जो चुनाव जीतकर आते हैं। चुनाव तो जब होते हैं तो अलग-अलग पार्टियों के लोग भी होते हैं, लड़ते भी हैं। चुनाव जीतने के बाद में हम मिलकर काम कैसे करें, विश्वविद्यालय के छात्रों की समस्याओं को लेकर हों या छात्रों की समस्याओं के अलावा विश्वविद्यालय के या फैकल्टी के या कॉलेजेज के कोई विकास की बात हो, कोई सुझाव अच्छे हों, उसमें आप सबकी भागीदारी हो, मैं चाहूंगा इस प्रकार से हम लोग सोच रखें अपनी और सब मिलकर काम करें यही अपनी भावना होनी चाहिए यही बात कहता हुआ मैं एकबार पुनः आपको बधाई दूंगा कि आपने पूजा वर्मा को कामयाब किया, धन्यवाद, जय हिंद।

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