Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

राजस्थान आवासन मण्डल के स्वर्ण जयंती समारोह के दौरान संबोधन

दिनांक
22/02/2020
स्थान
जयपुर


मेरे पूर्व वक्ताओं ने आपको स्वर्गीय श्री द्वारकादास पुरोहित जी के बारे में, उनके व्यक्तित्व के बारे में, उनके कृतित्व के बारे में बड़े विस्तार से बताया। मुझे खुशी है कि आज हाउसिंग बोर्ड ने उनकी मूर्ति की स्थापना करने का निर्णय किया और मूर्ति अभी कहा गया कि लंबे समय से रखी हुई थी और कर्मचारी संघ के लोगों ने सुझाव दिया। द्वारकादास पुरोहित जी कोई मामूली हस्ती नहीं थे। मुझे इस बात की खुशी है कि हाउसिंग बोर्ड ने एक ऐसे व्यक्तित्व को याद किया, जिसका आजादी की जंग के अंदर एक शानदार योगदान था। शेर-ए-राजस्थान स्वर्गीय जयनारायण व्यास जी के साथ में कंधे से कंधा मिलाकर के जिस शख्स ने उस जमाने में संघर्ष किया हो, जब हमारे अनेकों फ्रीडम फाइटर्स ने देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त करवाने के लिए त्याग किए, बलिदान किए, फांसी के फंदे पर चढ़े, तब मुल्क आजाद हुआ। 1942 का भारत छोड़ो आन्दोलन, उसके अंदर भी जिसने भूमिका अदा की हो उसका नाम द्वारकादास पुरोहित है। आप सोच सकते हो कि कई बार जेल गए वो, हमारे जोधपुर के अंदर माच्या किला है, वहां उनको बंद रखा गया। 1942 के आन्दोलन में उनको सिवाणा-बिजोलाई के किले में बंद रखा गया, ये नई पीढ़ी को एक संदेश देता है। क्योंकि अगर हम अपने देश की परंपराओं को, संस्कार को, संस्कृति को याद नहीं रखेंगे तो आने वाली पीढ़ियां उनको भूल जाएंगी और जिस देश का स्वर्णिम इतिहास है उसको याद नहीं करेंगे तो, आने वाली पीढ़ियां उसको अगर ज्ञान ही नहीं होगा कि हमारे मुल्क का इतिहास क्या है, परंपराएं क्या हैं, संस्कार क्या हैं, संस्कृति क्या है सदियों पुरानी और किस प्रकार हम गुलाम थे अंग्रेजों के भी, किस प्रकार राजा-महाराजा अलग थे, जागीरदार थे, प्रथाएं थीं, तो ये हर पीढ़ी को अवगत कराना आवश्कयक होता है। और वो तब होता है जब उस वक्त में जो हीरो थे फ्रीडम फाइटर्स के रूप में उनको आप याद करो, मान सम्मान दो, तब जाकर के नई पीढ़ी को एक प्रेरणा मिलती है कि नहीं, हमारा महान इतिहास है दुनिया के अंदर, हम अपना स्थान रखते हैं, दुनिया के मुल्कों से हम कम नहीं हैं, ये कॉम्प्लेक्स पैदा होता है नई पीढ़ी के अंदर। आज सोशल मीडिया का जमाना है। आराम से वो गूगल के माध्यम से भी, वैसे भी वो जो पूरा देश में-दुनिया में क्या हो रहा है, प्रदेश में क्या हो रहा है, वो अवगत होते हैं। तो हाउसिंग बोर्ड का द्वारकादास पुरोहित जी की मूर्ति लगाना, ये मूर्ति अब आगे आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरणा देगी कि ये मूर्ति किसकी है, क्यों लगी है, क्या योगदान था, उससे वो खुद मन में प्रेरित होकर के संकल्प करेगा मुझे कुछ जिंदगी में करके दिखाना है। ये परंपराएं जब हमारी शहीद की मूर्ति लगती है या कोई महापुरुष की मूर्ति लगती है, तो ये लगने का कारण यही होता है, प्रेरणा मिलने की जो बात सामने आती है, तो परंपराएं कायम रहें, हर पीढ़ी जुड़ती है। और मुझे खुशी है कि इस जिम्मेदारी को हाउसिंग बोर्ड ने बखूबी निभाया और बहुत शानदार पार्क का इन्होंने जो इसका विकास किया है मैं उम्मीद करता हूं कि यहां के आस-पास के लोगों को इसका लाभ मिलेगा। धारीवाल जी कह रहे थे अभी, अशोक लाहोटी जी कह रहे थे कि शानदार पार्क बनने जा रहा है सेंट्रल पार्क, मुझे खुशी है कि वो पार्क बनेगा, पूरे मानसरोवर के लोगों को भी, आस-पास के लोगों को भी उसका लाभ मिलेगा। सेंट्रल पार्क से भी बड़ा पार्क बनेगा। इतना शानदार एक निर्णय हुआ है और जिसकी आवश्यकता भी थी। मैं बचपन से ही द्वारकादास पुरोहित जी को जानता था। क्योंकि वो जोधपुर के थे, मेरे पिताजी वहां नगर परिषद् के अध्यक्ष रहे हुए थे और वो भी किसी जमाने में अध्यक्ष रहे थे, पार्षद भी रहे थे। लंबा उनका इतिहास था, हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन बने तब से ही मैं देख रहा था किस प्रकार उन्होंने प्रथम अध्यक्ष के रूप में काम करना आरंभ किया और किस प्रकार उन्होंने इतिहास रचा हाउसिंग बोर्ड का, अभी जिसके बारे में विजय बाबू ने आपको विस्तार से बताया और हर मुख्यमंत्री की पसंद थे वो, तो उससे आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि हर मुख्यमंत्री की पसंद होना क्या और कैसे मायने रखता है। वो तभी हो सकता है, तब वो उनकी भावना वही होती है, उसी प्रकार की होती है कि मुझे समाज के लिए कुछ करना है। जो ऐसे भाव रखते हैं, उसी को हर मुख्यमंत्री समान रूप से, चाहे वो कांग्रेस का हो चाहे वो बीजेपी का हो, कोई हो सम्मान दे सकते हैं। मुझे खुशी है कि उनको लंबे अरसे तक काम करने का सौभाग्य मिला और हाउसिंग बोर्ड के बारे में बहुत सारी बातें कही गईं। इसमें कोई दो राय नहीं कि हमारे सावंत साहब बैठे हुए हैं अध्यक्ष हाउसिंग बोर्ड के और पवन अरोड़ा जी आयुक्त बैठे हुए हैं। धारीवाल जी के सुझाव पर एक नई योजना लागू हुई। 22 हजार मकान किसे कहते हैं, वो बिना बिके हुए पड़े रहे तो कहीं न कहीं वर्किंग के अंदर कमी है हाउसिंग बोर्ड के अंदर, बाकि 22 हजार मकान बनते रहे- बनते रहे, बिके नहीं तब भी बन रहे हैं, ये क्यों बने। ये भी अपने आप में एक जांच का विषय है कि 22 हजार मकान बनते गए बनते गए बनते गए, बिके नहीं तब भी बनते क्यों गए। पर हमारी सरकार आई, अब ये तो लाहोटी जी जानते हैं कि क्यों बनते रहे बनते रहे बनते रहे बिके नहीं। आप जानते हो क्यों बनते रहे बनते रहे बनते रहे बिके क्यों नहीं मकान। और क्यों बनते रहे आगे पता ही नहीं है। पता ही नहीं पड़ रहा है क्यों बनते ही रहे। पर हमारी गवर्नमेंट आने के बाद हमने जैसे ही नीतिगत फैसला किया, पवन अरोड़ा जी को और भास्कर जी को जिम्मेदारी सौंपी, इन्होंने एक इतिहास बनाया, इसके लिए मैं बधाई देना चाहता हूं। ये इच्छाशक्ति के बगैर संभव नहीं है कि इस प्रकार से आप वापस से ऑक्शन करो या उनको डिस्पोजअप करो, किया इन्होंने। मैं उम्मीद करता हूं कि धारीवाल जी के नेतृत्व में आने वाले वक्त के अंदर और ज्यादा मजबूती से मकान तो बिकेंगे ही बिकेंगे, पर मकान हर व्यक्ति को अपना खुद का घर हो राजस्थान के अंदर, ये सपना जो द्वारकादास पुरोहित जी ने देखा था, लंबा सफ़र तय करते-करते 50 साल मना रहे हैं उनके, स्वर्णिम जयंती मना रहे हैं, तो हमारी जिम्मेदारी बनती है कि द्वारकादास पुरोहित जी के सपने को पूरा करेंगे तब जाकर के हाउसिंग बोर्ड कामयाबी के साथ में आगे बढ़ पाएगा। जो प्रथम अध्यक्ष थे उसके उनका सपना था कि हर व्यक्ति को, हर परिवार को उसका खुद का घर हो। तो जो थीम हाउसिंग बोर्ड की थीम ये है। कई उतार-चढ़ाव आए हैं, इसमें कोई दो राय नहीं है, कई आवास विकास समिति बनी हुई थीं हाउसिंग बोर्ड के अंदर, 20 साल पहले मैं आपके आशीर्वाद से मुख्यमंत्री था तब उसको, जब वो बंद हुई तो तमाम उसके कर्मचारियों को हमने हाउसिंग बोर्ड के अंदर वापस एडजस्ट किया, किसी को घर नहीं बैठाया हमने, बड़ा फैसला किया था उस वक्त में। मुझे आज भी याद है 20 साल पहले की बात। इस प्रकार से हमेशा हम लोगों ने हाउसिंग बोर्ड का ख्याल रखा है। आगे भी हम चाहेंगे कि सरकार का पूरा सहयोग, समर्थन, मार्गदर्शन मिलता रहे। हाउसिंग बोर्ड ऐसी योजना बनाए और जो संभव है आज। आज रियल एस्टेट चारों ओर से संकट में घिरी हुई है, मकानों का बनना बंद हो गया है, कई तरह की समस्याएं हैं, उसमें मैं नहीं जाना चाहता। अभी तो इनके प्रोग्राम 2-3 दिन चलेंगे। मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि हाउसिंग बोर्ड ऐसी योजना बनाए जिससे कि आम इंसान जो मकान लेना चाहे, उसको सस्ती दर पर मकान मिल सके। अगर हाउसिंग बोर्ड भी 30 लाख, 40 लाख, 50 लाख, 60 लाख के मकान बेचेगा, तो वो आम आदमी खरीद नहीं पाएगा। किस प्रकार से उसको एक आम नागरिक को भी बैंकों से टाइअप करवाकर के, वो भी जिम्मेदारी हाउसिंग बोर्ड खुद ले, बैंकों को पैनल में रखे, जो लोन जो पैसा हाउसिंग बोर्ड जमा करवाता है बैंकों में उनसे आप बातचीत करें और उनसे आप एग्रीमेंट करें इस प्रकार से करें जिससे कि जो बैंकें सहयोग करेंगी, उनकी हमारी जमाबंदी होगी, तो बैंकें भी आगे आएंगी। इस रूप में आप आम नागरिक को, मिडिल क्लास फैमिली को, लोअर मिडिल क्लास को कैसे मकान मिल सकता है, ये हमारा सपना होना चाहिए। मैं उम्मीद करता हूं कि जिस रूप में हाउसिंग बोर्ड ने काम शुरु किया है, आने वाले वक्त में, मैं फिर कहूंगा द्वारकादास पुरोहित जी का जो पहला उनको जो कमेटी बनाई गई चेयरमैन बनाया गया जयनारायण व्यास जी के वक्त में, सुखाड़िया जी के वक्त में और उन्होंने जिस रूप में अपनी भावना व्यक्त की, 'हाउस फॉर होमलैस', ये उनका नारा था हाउस फॉर होमलैस, उसके अकॉर्डिंग टू हम लोग काम करें ये हमारी सबकी सोच रहेगी, यही बात कहता हुआ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं। धन्यवाद, जय हिंद, धन्यवाद।

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