Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

Talked to media regarding Ayodhya verdict

दिनांक
09/11/2019
स्थान
Jaipur


लंबे इंतजार के बाद में आखिर वो दिन आ ही गया अयोध्या को लेकर आज फैसला हुआ और सर्वोच्च न्यायालय का फैसला है। लंबी प्रक्रिया के अंतर्गत किया गया है। तो कांग्रेस की जो प्रतिक्रिया हैं वो इस रूप में दी गई है कि यह जो फैसला आया है इसका सबको सम्मान करना चाहिए और शांति सद्भाव बनाए रखना चाहिए। judiciary के फैसले का सम्मान करना चाहिए। यही उम्मीद करता है देशवासी भी और मैं समझता हूं कि कांग्रेस ने उसी के अनुकूल प्रतिक्रिया दी है। और उम्मीद है कि प्रदेश के अंदर भी और देश में भी शांति और सद्भाव बना रहेगा। और कुछ एंटी सोशल एलीमेंट्स अगर गडबड़ करने का प्रयास करेंगे तो राजस्थान में हमने निर्देश दे रखे है कि इसे हैवी हैण्ड से डील करें। वो कोई भी जाति का हो बिरादरी का हो और बाकि जो है मैं समझता हूं कि शांति के नाम पर सद्भाव के नाम यह फैसला लागू होगा। और जो भी मैं समझता हूं कि जो रिएक्शन आने हैं वो अभी आने लग जाएंगे। मेरा मानना है कि अधिकांश लोग रिएक्शन देंगे। फैसला जो सुप्रीम कोर्ट का है उसका सबको सम्मान करना चाहिए।

प्रश्न: क्या भाजपा मूल मुद्दों पर आएंगी क्या एजेंडा समाप्त होगा या जनसंख्या नियंत्रण जैसे मुद्दों पर आएगी
देखिए भाजपा के तो चुनावी मुद्दे होते हैं। चुनाव जीतने के लिए होते हैं। जनता से सरोकार नहीं होता है। देश के हालात बद से बदतर हो रहे हैं। दुनिया जानती है देश जानता है। महंगाई बढ़ती जा रही है। नौकरी जा रही है, इंवस्टमेंट नहीं आ रहा है। एक्सपोर्ट हो नहीं रहा है। तो कोई तालुल्क नहीं है बीजेपी के नेताओं को और जब निर्मला सीतारमण के पति कह रहे हैं कि इनको समझ ही नहीं है अर्थव्यवस्था की। पंडित नेहरू की जो नीति थी उनको भुला दिया है इन्होंने। तो इनको चाहिए कि नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह जी की नीतियों को अपना कर चले। तो यह अर्थव्यस्था ठीक हो जाएगी। इसके क्या मायने हैं। दिखता ही नहीं है लोगों को उनको केवल राष्ट्रवाद है धर्म के नाम पर राजनीति करनी है। 370 पर राजनीति करनी है। कब तक करते रहेंगे। जनता बहुत समझती है। तभी तो झटका मिला इनको चुनाव में।

सवालः सर भाजपा क्रेडिड तो लेने की कोशिश करेगी
जवाब-कोई क्रेडिड नहीं ले सकता। चाहे भाजपा ने जो किया पिछले 25-30 साल के अंदर सबके सामने हैं। उसका नुकसान सबको भुगतना पड़ता है। जहां हिंसा होती है वहां पर क्या होता है। इतनी हिंसा हुई कितने निर्दोष लोग मारे गए। सबको मालूम है। उस समय भी मान लो ये judiciary पर डिपेंड रहते आज यह नौबत नहीं आती। बजाए इसके कि दंगे भड़काए गए दंगे कराए गए। राम मंदिर के अंदर बाबरी मस्जिद वहां तोड़ी गई। जिस रूप में और दंगे भड़के वहां पर। उस सब से बचा जा सकता था। अगर बीजेपी, आरएसएस, विश्व हिन्दू परिषद थोड़ी समझदारी से काम लेती कि हम ज्यूडिशरी पर विश्वास करते हैं। उस समय पर यदि न्यायालय पर छोड़ देते तो साल, दो साल, तीन साल पांच साल तो निपट जाता मामला। कितना खून खराबा हुआ अब जाकर 25 साल के बाद में तो आप सोच सकते हो 25 नहीं 28 साल के बाद में तो यह स्थिति है। तो इस हालत से बच सकती थी सरकार। देश बच सकता था। मेरा मानना है।

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